"कश्मीर से अमरनाथ"
"कश्मीर से अमरनाथ"
कश्मीरी घाटी का देखो, मनभावन है दृश्य |
ऊँचे-ऊँचे पर्वत नीचे, चिनार देवदार के वृक्ष ||
लिद्दर, सिन्धु, झेलम के तट का, सुन्दर बड़ा नजारा |
श्रीनगर की झीलों में तो, सैर का ढंग है न्यारा ||
हजरत बल मस्जिद, परिमहल, चश्म शाही फिर आये |
शीतल जल का चश्म ये देखो, कई तरह के रोग मिटाये ||
निशात, शालिमार बाग़ बगीचे, पुष्प कमल कुमुदिनी के |
सजे हुए थे इन पुष्पों के, सुन्दर मुकुट सारी झीलों के ||
गुल्फों के मैदानों ने तो, गुलमर्ग की शान बढ़ाई |
ढकी बर्फ से पर्वत चोटियाँ, स्कीइंग का बोध कराई ||
गंडोला कार की सैर को, मन से जाता नहीं निकाला |
कोंगडोरी तक ही ले पाई, उस सैर का मजा निराला ||
विश्व में सबसे ऊँचा पर्वत, देखने का मौका न मिल पाया |
14500 फीट ऊँचा पर्वत 'अफरवट', देश की शान बढ़ाया ||
शंकराचार्य का मंदिर देखो, बना यहाँ पर विश्व प्रसिद्ध |
290 सीढ़ियाँ बनी यहाँ की, ऊपर से दिखे विहंगम दृश्य ||
क्षीर भवानी मंदिर, कुण्ड अनंत नागों का |
रावण ने भी करी तपस्या, किया आह्वान माता का ||
जगदम्बा 'श्यामा' बन रही लंका में, पूजा थी राक्षसी तामसी |
क्रोधित हो आ गई भवानी, भारत आ कश्मीर बसी ||
सोनमार्ग सिन्धु की घाटी, नदियों की महारानी |
अभयारण्य की घाटी की शोभा, ना जाए बखानी ||
बालटाल में लगा था मेला, यात्रा करने वालों का |
आकाशमार्ग या पैदल चलते, बाबा के मतवालों का ||
अमर गंगा में स्नान किया, फिर हिम पीठ जा पहूँची |
जहाँ विराजे अमरनाथ जी, हिम नहीं वह कच्ची ||
प्राकृतिक गुफा में देखा, अदभुत शिव परिवार सजा सा |.
बूँद-बूँद गिरता जल जमता, वृहदाकार शिवलिंग बनाता ||
बाबा पहलगाँव (बैलगाँव) में, नंदी वर्धा को शीश नवाके |
नील गंगा में मुख धोकर, चन्दन बाडी चन्द्रमा त्यागे ||
पिस्सू घाटी त्रेशांक पर्वत पर, मिटाया असुरों का वर्चस्व |
शेषनाग की महिमा न्यारी, मिटे कष्ट पाप सर्वस्व ||
पंचतरनी में माँ गंगा का, पञ्च तत्त्वों का त्याग किया |
अनंतनाग में बाबा भोले का, भक्तों ने जयकार किया ||.
गुफा में बाबा ने माँ को, अमरकथा से तृप्त किया |
अमरकथा सुन शुकदेव जी ने, भावमग्न अमरत्व पिया ||
छड़ी मुबारक आई देखो, नमन करूँ में बारम्बार |
श्री चरणों में बाबा मेरा, करो शीश नमन स्वीकार ||
बालटाल से श्रीनगर, वापस लौटकर आये |
रात बिताई हाउस बोट में, सुबह को दिल्ली आये ||
करूँ प्रार्थना में ईश्वर से, सभी को शक्ति प्रदान करें |.
प्राकृतिक सौन्दर्य के दर्शन, कर अपना कल्याण करें ||
संपत देवी मुरारका
हैदराबाद
कश्मीरी लिबास में तो कश्मीरी ही लग रही हैं आप तो!
जवाब देंहटाएंइन चित्रों के माध्यम से कश्मीर की सैर कराने के लिए आभार॥
aa0 sampat jee,
जवाब देंहटाएंaapka blog dekha. chgitr bahut pasand aaye -
kasmeree vesh bhoosha mein aapka chitra bahut bhaya . Nav Varsh ki aapko sapriwaar hamaaree shgubh-kaamnaayen .
Kamal