गुरुवार, 9 अगस्त 2012

हिन्दी प्रचार सभा एवं हिन्दी संस्था संघ, के 37 वें अखिल भारतीय हिन्दी कार्यकर्ता शिविर आयोजित









हिन्दी प्रचार सभा एवं हिन्दी संस्था संघ, के 37 वें अखिल भारतीय हिन्दी कार्यकर्ता शिविर आयोजित

हिन्दी प्रचार सभा, हैदराबाद (आंध्र-प्रदेश) एवं अखिल भारतीय हिन्दी संस्था संघ, नई दिल्ली के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित 37 वें त्रि दिवसीय अखिल भारतीय हिन्दी प्रचारक कार्यकर्ता शिविर 28-30 जुलाई 2012 को नामपल्ली स्टेशन रोड़ स्थित हिन्दी प्रचार सभा के सभागृह में संपन्न हुआ |

दि. 28 जुलाई को 12 बजे उद्घाटन सत्र आरम्भ हुआ | अध्यक्ष श्री गिरीश गांधी (अध्यक्ष, अखिल भारतीय हिन्दी संस्था संघ, नई दिल्ली), उद्घाटन एवं प्रमुख अतिथि प्रसाद कुमार (कपड़ा मंत्री), विशिष्ट अतिथि श्री के. लक्ष्मा रेड्डी (विधायक मेढचल), डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा (केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय के उपनिदेशक, चेन्नई), डॉ. राकेश कुमार शर्मा (अनुसंधान अधिकारी, केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय, नई दिल्ली) तथा प्रो. चंद्रदेव कवड़े (हिन्दी प्रचार सभा, हैदराबाद के अध्यक्ष एवं अखिल भारतीय हिन्दी संस्था संघ, नई दिल्ली के सचिव), श्री एम.प्रभुजी (प्रधान मंत्री, हिन्दी प्रचार सभा, हैदराबाद), डॉ. सुरेश पुरी (परीक्षा मंत्री एवं शिविर संयोजक), धोंडी राव जाधव (उपाध्यक्ष, हिन्दी प्रचार सभा, हैदराबाद) आदि मंचासीन हुए |

भारतीय परंपरा के अनुसार दीप प्रज्ज्वलन के पश्चात उद्घाटन समारोह का शुभारंभ हुआ | मंत्री प्रसाद कुमार ने हिन्दी प्रचार सभा की अपनी वेबसाईट लॉन्च करने के बाद हिन्दी प्रचार सभा की तरफ से मंचासीन मान्यवरों सहित हिन्दी के लिए उल्लेखनीय योगदान देने वाले हिन्दी सेवियों का विशेष सम्मान किया गया | सभा को संबोधित करते हुए मंत्री प्रसाद कुमार ने कहा कि हिन्दी प्रभावी संपर्क भाषा है, इसलिए हिन्दी को प्रधानता दी जानी चाहिए | आज दक्षिण के राज्यों में हिन्दी के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है | इसके लिए राज्य सरकार भी हर संभव सहयोग प्रदान करेगी |

अवसर पर विधायक के. लक्ष्मा रेड्डी ने कहा कि वे हैदराबाद में 1965 में आये थे, जब केवल हिन्दी और उर्दू ही यहाँ चलती थी | काम चलाने के लिए हिन्दी सीखना जरुरी होता था | उन्होंने कहा कि आंध्र को एकीकृत करने के उद्देश्य से तेलुगु भाषा को प्रोत्साहित किया गया | आज तेलुगु, हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा पर बल दे रही है | उन्होंने कहा कि हिन्दी को कुछ राज्यों में माना जाता है और कुछ राज्य इसे महत्त्व नहीं दे रहे हैं | हिन्दी को दक्षिण के प्रदेशों में अधिक प्रचलित करने की आवश्यकता है |

केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय के उपनिदेशक डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा ने कहा कि आज हिन्दी के विकास के लिए हिन्दी भाषेत्तर क्षेत्रों में सक्रिय रूप से कार्य करने की आवश्यकता है | आगे केवल चर्चा करने से हिन्दी का भला नहीं होगा | इसके उपयोग में आ रही दिक्कतों को दूर कर अधिक प्रचार-प्रसार करने से हिन्दी का विकास होगा |

केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय के शोध अधिकारी डॉ. राकेश कुमार ने कहा कि हिन्दी के प्रचार-प्रसार से जुड़े प्रतिनिधियों को कार्यालयों में आ रही दिक्कतों को दूर करने की दिशा में कार्य करना होगा | उन्होंने कहा कि आज देश में हिन्दी से जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति चिन्ताजनक है | उनके लिए आकर्षक पैकेज इत्यादि दिये जाने की जरुरत है |

अखिल भारतीय हिन्दी संस्था संघ के अध्यक्ष गिरीश गाँधी ने कहा कि हिन्दी देश को एकसूत्र में बाँधने वाली भाषा के रूप में अपनायी गयी थी और आजादी की लड़ाई हिन्दी के साथ जुड़कर लड़ी गयी थी | उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एकता बनाये रखने के लिए हिन्दी के साथ-साथ प्रान्तीय भाषा को भी प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है |

कार्यक्रम में संघ के सचिव एवं हिन्दी प्रचार सभा, हैदराबाद के अध्यक्ष डॉ. चंद्रदेव भगवंत राव कवडे ने कहा कि हिन्दी संस्था संघ का गठन देश में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए किया गया | देश में इस कार्य के लिए केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान और अखिल भारतीय हिन्दी संस्था संघ सक्रिय रूप से कार्य कर रही है | उन्होंने कहा कि हैदराबाद में आयोजित 37 वाँ अखिल भारतीय कार्यकर्ता सम्मेलन 30 जुलाई तक चलेगा | इसमें देश भर से 125 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं | सम्मेलन में हिन्दी के महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा होगी |

कार्यक्रम में हिन्दी प्रचार सभा के प्रधान मंत्री एम.प्रभु ने कहा कि हैदराबाद में 1935 से हिन्दी प्रचार सभा हिन्दी की सेवा में अपना योगदान देता आ रहा है | आज संस्था ने अपने 75 वर्ष पूर्ण कर लिए हैं | संस्था के अमृत महोत्सव के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं | हिन्दी प्रचार सभा का क्षेत्र आंध्र-प्रदेश, कर्नाटक एवं महाराष्ट्र तक विस्तारित है और आज हजारों की संख्या में विद्यार्थी इससे लाभांवित हो रहे हैं |

कार्यक्रम का संचालन हिन्दी प्रचार सभा के परीक्षा सचिव एवं सम्मेलन के संयोजक प्रो.सुरेश पुरी ने किया | आभार डॉ. अहिल्या मिश्र (सहयोगी सम्पादक विवरण पत्रिका) ने व्यक्त किया | अवसर पर हिन्दी प्रचार सभा के उपाध्यक्ष धोंडी राव जाधव सहित अनेक पदाधिकारी एवं सदस्यगण उपस्थित थे |

द्वितीय सत्र के अन्तर्गत ‘वर्त्तमान में हिन्दी के प्रचार-प्रसार की समस्याएँ एवं समाधान’ विषय पर संगोष्ठी संपन्न हुई | इस चर्चा सत्र के मुख्य वक्ता प्रो.डॉ.रविरंजन (अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, मानविकी संकाय हैदराबाद, विश्वविद्यालय, हैदराबाद) ने अपने वक्तव्य में कहा कि औपचारिक कार्य में हिन्दी का जितना अधिक प्रयोग होगा उतना हिन्दी का प्रचार-प्रसार होगा | सामान्य भारतीय आदमी को यह बोध कराना आवश्यक है कि अंग्रेजी न आना विद्ववता का लक्षण नहीं है | शिक्षित वर्गों का कर्तव्य है कि अशिक्षित व्यक्ति को हीन भाव से विरक्त न होने दे | अभी उच्चाधिकारी हिन्दी में अगर बात करेंगे, उनके साथ काम करने वाले सभी कार्यकर्ता हिन्दी में बात करेंगे | संगोष्ठी की अध्यक्षता भूतपूर्व कार्यकारिणी सदस्य, उस्मानिया विश्वविद्यालय, डॉ. सी.हेच.चंद्रय्या ने की | संचालन सम्पादक, हिन्दुस्तानी जबान, हिन्दुस्तानी प्रचार सभा, मुंबई की डॉ. माधुरी छेड़ा तथा आभार प्रदर्शन मंत्री आंध्र-प्रदेश हिन्दी प्रचार सभा  हैदराबाद श्री अरविन्द कुमार शिन्दे ने किया |

दि. 29 जुलाई को तृतीय सत्र के अन्तर्गत ‘हिन्दी के विकास में जन संचार माध्यमों का योगदान’ विषय पर संगोष्ठी संपन्न हुई | इस चर्चा सत्र के मुख्य वक्ता हैदराबाद विश्वविद्यालय की डॉ.गरिमा श्रीवास्तव थी | उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि आज समाज में हिन्दी का वर्चस्व घटता जा रहा है | इसका मूल कारण शिक्षित सभ्य समाज परिवारों के लोग घरों में अपने चपरासी, माली ऑटो चालक आदि से तो हिन्दी में बात करते हैं, लेकिन अपने बच्चों से नहीं | इसका असर हमारे बच्चों पर पड़ता है | वे सोचते हैं कि जिनसे हमारे परिजन हिन्दी में बोलते हैं, उनकी जीवन शैली निम्न कोटि की है और हमारी उच्च कोटि की, इसलिए उनके मन में यह बात बैठ जाती है कि हिन्दी उच्च वर्ग की भाषा नहीं है | डॉ. गरिमा ने कहा कि आज जनसंचार के माध्यम काफी बढ़ गए हैं | इन्टरनेट विशेषत: फेसबुक काफी प्रभावी है | ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने एक बृहद कार्यक्रम आरम्भ किया है, जिसका नाम ‘ताज: ए डोर टू हिन्दी’ रखा है, जिसमें 15 पाठ है | इन पाठों में हिन्दी के मूल आधार सिखाए गए हैं, जिसे विदेशी छात्र-छात्राएँ दिलचस्पी से पढ़ रहे हैं | उन्होंने कहा कि आज अधिकांश घरों में भी टी.वी. रेडियो जैसे सूचना एवं जनसंचार के माध्यम है | ऐसे में यदि कोई कहे कि मुझे हिन्दी का ज्ञान नहीं है तो यह बड़े आश्चर्य की बात है | डॉ. गरिमा श्रीवास्तव ने महिलाओं को इंटरनेट पर फेसबुक पर उपयोग करने तथा विश्वभर की जानकारियाँ हासिल करने की प्रेरणा दी | संगोष्ठी की अध्यक्षता सभा के साहित्य मंत्री डॉ. एम. श्री रामुलु, संचालन राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के बंडोपंत पाटिल तथा आभार प्रदर्शन प्रो.डॉ. सुरेश पुरी (संयोजक) ने किया |

चतुर्थ सत्र के अन्तर्गत चर्चा गोष्ठी ‘कम्प्यूटर और तकनीकी के बढ़ते युग में हिन्दी को प्रतिष्ठित करने में स्वैच्छिक हिन्दी संस्थाओं की भूमिका’ विषय पर थी | मुख्य वक्ता उच्च शिक्षा शोध संस्थान द.भा.हि.प्र. सभा, हैदराबाद के अध्यक्ष डॉ. ऋषभदेव शर्मा थे | उन्होंने कहा कि देशभर की सभी स्वैच्छिक हिन्दी संस्थाएँ अपने-अपने अंचलों में परेशानियों व कठिनाइयों से जूझते हुए हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित हैं | जिनके पास आर्थिक संसाधन है, वे हिन्दी के लिए उतना नहीं कर रहे हैं, जितना हिन्दी सेवी संस्थाएँ कर रही हैं | डॉ. ऋषभदेव शर्मा ने कहा कि कम्प्यूटर युग में भी खास पंचायतें हैं, जो तालिबानी फरमान जारी करती है | उन्होंने कहा कि इंटरनेट के माध्यम से देश के सभी प्रांतों में फैली स्वैच्छिक हिन्दी सेवी संस्थाओं का एक मंच स्थापित करना चाहिए | कम्प्यूटर पर हमें भाषायी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए यह देखना होगा कि हिन्दी व उसकी सहयोगी भाषाओं को एक मंच पर कैसे लाया जाए | उन्होंने हिन्दी प्रचारकों से कहा कि वे इंटरनेट पर अपना ब्लॉग बनाएँ | लोग देश के बारे में जानने को उत्सुक हैं, परन्तु इंटरनेट पर ब्लॉग के अंग्रेजी में होने के कारण लोग इससे वंचित हो रहे हैं | इस चर्चा सत्र की अध्यक्षता आन्ध्र विश्वविद्यालय वाल्टेयर, हिन्दी विभाग की पूर्व अध्यक्षा डॉ. शेषारत्नम ने की | संचालन हिन्दी विद्यापीठ, देवधर (झारखंड) के प्रो.श्रीकांत झा ने तथा आभार प्रदर्शन महाराष्ट्र हिन्दी प्रचार सभा, औरंगाबाद के मंत्री डॉ. नारायण वाकले ने किया |

चर्चा गोष्ठियों के पश्चात कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया | इसमें सुरेश जैन, लक्ष्मीनारायण अग्रवाल, भँवरलाल उपाध्याय, नीरज त्रिपाठी, डॉ.रमा द्विवेदी, ज्योतिनारायन, अजित गुप्ता, वीर प्रकाश लाहोटी ‘सावन’, डॉ. अहिल्या मिश्र (संयोजिका), वेणुगोपाल भट्टड़ आदि ने अपनी रचना पाठ कर श्रोताओं को मंत्र-मुग्ध कर दिया | कवि सम्मेलन की अध्यक्षता डॉ. माधुरी छेड़ा तथा संचालन अजित गुप्ता ने किया | डॉ. अहिल्या मिश्र ने सभी का स्वागत करते हुए कवियों का परिचय दिया |

दि.30 जुलाई को पंचम सत्र के अन्तर्गत ‘प्रादेशिक भाषाओं के विकास में हिन्दी की भूमिका’ विषय पर संगोष्ठी संपन्न हुई | मुख्य वक्ता उ.वि.वि.हिन्दी विभाग, हैदराबाद के भूतपूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.टी.मोहनसिंह थे | उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि हिन्दी राज्य भाषा, राष्ट्रभाषा, संपर्कभाषा और एकता की भाषा है | मराठी में दलित साहित्य बाबा साहब अम्बेडकर की प्रेरणा से हुआ | दलित साहित्य प्रभावित होकर भारतीय भाषाओं में दलित साहित्य का निर्माण हुआ | आज हिन्दी में ही नहीं, केवल तेलुगु में भी दलित साहित्य का निर्माण हुआ है | स्त्रीवादी साहित्य भी एक दूसरे के आदान-प्रदान के कारण निर्माण हो रहा है | आदिवासी स्वर साहित्य भी महत्त्वपूर्ण स्वर बन गया है | इस चर्चा सत्र की अध्यक्षता सहयोगी संपादिका, विवरण पत्रिका, हिन्दी प्रचार सभा हैदराबाद की डॉ. अहिल्या मिश्र ने की | संचालन प्रचार शिक्षण प्रमुख, राष्ट्रभाषा सभा पूणे के श्री गोविंद दाभोलकर ने तथा आभार प्रदर्शन हिन्दी शिक्षा समिति, कटक, ओडिशा के वेणुधर महारणा ने की |

हिन्दी प्रचार सभा, हैदराबाद के अध्यक्ष तथा अखिल भारतीय हिन्दी संस्था संघ, नई दिल्ली के सचिव डॉ. चन्द्रदेव कवड़े की अध्यक्षता में समापन समारोह हुआ | अवसर पर उद्घाटन समारोह के प्रमुख अतिथि मानव अधिकार आयोग के जनसंपर्क अधिकारी एवं न्यायाधीश टी. गोपाल सिंह मंचासीन थे | भूदान यज्ञ बोर्ड हैदराबाद के चेयरमैन सी.वी.चारी सम्माननीय अतिथि के रूप में उपस्थित थे | हिन्दी प्रचार सभा, हैदराबाद के प्रधान मंत्री एम.प्रभु की विशेष उपस्थिति रही | समापन समारोह का संचालन अखिल भारतीय हिन्दी संस्था संघ के कार्यालय सचिव जानकी वल्लभ ने किया | शिविर को सफल बनाने वालों का प्रमुख अतिथियों द्वारा विशेष सम्मान किया गया | शिविर का कार्यवृत संक्षेप में महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा, पूणे के प्रचार-शिक्षण प्रमुख गो.म.दाभोलकर ने प्रस्तुत किया |

उपस्थित प्रतिनिधियों से विनीता जैन, हरेन्द्र कुमार तथा डॉ. प्रमोद पाण्डेय और डॉ. अहिल्या मिश्र (संयोजक कवि सम्मेलन) ने अपनी प्रतिक्रिया संक्षेप में प्रस्तुत की | इस दौरान सी.वी.चारी ने कहा कि हिन्दी भारत की आत्मा है | भारत के महात्मा गाँधी, विनोबा भावे जैसे विभिन्न प्रान्तों के अहिन्दी भाषी विभूतियों, नेताओं का देश में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के कार्य में महान योगदान रहा है | प्रमुख अतिथि टी.गोपाल सिंह ने कहा कि भारतीय भाषाओं को आगे बढ़ाने की जरुरत है | हिन्दी के स्थान पर अंग्रेजी के पक्षधरों के गलत रास्तों को रोकना है | बच्चों को अपनी मातृभाषा एवं अपनी संस्कृति से जोड़ना चाहिए | प्रधान मंत्री एम.प्रभु ने संस्था का परिचय दिया | सी.वी. चारी का इस अवसर पर विशेष सम्मान किया गया | बाद में प्रचारक श्रेणियों का सम्मान कि गया | इस दौरान दुलीचंद, चिकोटी विजय कुमार एवं नटराज का भी सम्मान किया गया | अखिल भारतीय हिन्दी संस्था संघ के कोषाध्यक्ष विजय परदेसी भी मंचासीन थे | कार्यकर्ता शिविर के संयोजक व सभा के परीक्षा मंत्री प्रो.सुरेश पुरी के आभार प्रदर्शन के साथ शिविर का समापन हुआ |
श्रीमती सम्पत देवी मुरारका
लेखिका यात्रा विवरण 
मिडिया प्रभारी
हैदराबाद 















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