गुरुवार, 21 अप्रैल 2022

[वैश्विक हिंदी सम्मेलन ] अनुच्छेद 370 की तरह 348 को भी हटाया जा सकता है - न्यायमूर्ति राजन कोचर। भाषा सेनानी, वैश्विक हिंदी सेवा सम्मान से विभूषित

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जनभाषा में न्याय पर आयोजित संगोष्ठी में  पोडियम पर श्री नवीन कौशिक - अधिवक्ता, चंडीगढ़ उच्च न्यायालय, मंच पर - डॉ एम एल गुप्ता 'आदित्य' निदेशक - वैश्विक हिंदी सम्मेलन, श्री इंद्रदेव प्रसाद - अधिवक्ता- पटना उच्च न्यायालय, श्री संतोष आग्रे - अधिवक्ता मुंबई उच्च न्यायालय, अध्यक्षता कर रहे  न्यायमूर्ति श्री राजन कोचर, पूर्व मुख्य न्यायाधीश, मुंबई उच्च न्यायालय, श्री प्रदीप कुमार वरिष्ठ अधिवक्ता - इलाहाबाद उच्च न्यायालय,  श्री हरपाल सिंह राणा - भारत भाषा सेनानी तथा मुख्य अतिथि श्री विनोद जी चौरड़िया।
WhatsApp Image 2022-04-11 at 10.41.23 - Copy.jpeg न्यायमूति कोचर जी - Copy.jpeg
ऊपर - डॉ एम एल गुप्ता 'आदित्य' निदेशक - वैश्विक हिंदी सम्मेलन, श्री बृजमोहन अग्रवाल - समाज सेवी श्री कान बिहारी अग्रवाल - उपाध्यक्ष जनता की आवाज फाउंडेशन,  न्यायमूर्ति श्री राजन कोचर, पूर्व मुख्य न्यायाधीश, मुंबई उच्च न्यायालय, श्री सुंदरलाल बोथरा, अध्यक्ष - जनता की आवाज फाउंडेशन, श्री रितेश पोरवाल - कोषाध्यक्ष जनता की आवाज फाउंडेशन, श्री पंकज बोथरा - समाजसेवी।  
नीचे की पंक्ति में श्री इंद्रदेव प्रसाद - अधिवक्ता पटना उच्च न्यायालय, - श्री संतोष आग्रे - अधिवक्ता मुंबई उच्च न्यायालय,  श्री उमाकांत बाजपेयी - निदेशक आशीर्वाद , श्री मधुकांत - वरिष्ठ साहित्यकार, श्री प्रदीप कुमार वरिष्ठ अधिवक्ता - इलाहाबाद उच्च न्यायालय,  श्री हरपाल सिंह राणा - भारत भाषा सेनानी, श्री नवीन कौशिक - अधिवक्ता चंडीगढ़ उच्च न्यायालय। दाएं चित्र में मुंबई उच्च न्यायालय के पूर्व मु. न्यायमूर्ति श्री राजन कोचर जी।
वक्तागण
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        श्री नवीन कौशिक,       श्री इंद्रदेव प्रसाद         श्री प्रदीप कुमार      डॉ. एम एल गुप्ता 'आदित्य' श्री हरपाल सिंह राणा     श्री संतोष आग्रे
अनुच्छेद 370 की तरह 348 को भी हटाया जा सकता है - न्यायमूर्ति कोचर।

मुंबई उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री राजन कोचर ने कहा कि जिस प्रकार भारत सरकार ने इच्छाशक्ति दिखाते हुए अनुच्छेद 370 को हटाया उसी प्रकार सरकार चाहे तो उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में जनभाषा में न्याय के लिए अनुच्छेद 348 को भी हटा सकती है या संशोधित कर सकती है। न्यायाधीशों को तो संविधान के अनुसार ही चलना है। उन्होंने ये विचार 'वैश्विक हिंदी सम्मेलन' तथा 'जनता की आवाज़ फाउंडेशन' द्वारा 'जनभाषा में न्याय' विषय पर आयोजित संगोष्ठी में अध्यक्ष पद से बोलते हुए रखे। 

'जनभाषा में न्याय' विषय पर संगोष्ठी में इलाहाबाद, चंडीगढ़ उच्च न्यायालय के अधिवक्ता नवीन कौशिक ने बताया कि  उन्होंने अनेक विधायकों के हस्ताक्षर करवाकर हरियाणा सरकार द्वारा उच्च न्यायालय की भाषा हिंदी करने के लिए राष्ट्रपति को प्रस्ताव भिजवाया है।  पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता इंद्रदेव प्रसाद ने बताया कि पटना उच्च न्यायालय में हिंदी में न्याय को लेकर आने वाली बाधाओं को उन्होंने किस प्रकार संघर्षपूर्ण ढंग से पार किया और वे उच्च न्यायालय मैं याचिकाएं लगाना और बहस केवल हिंदी में ही करते हैं।  दिल्ली के भाषासेवी चौधरी हरपाल सिंह राणा ने विभिन्न अदालतों में हिंदी के प्रयोग को लेकर किए गए प्रयासों और संघर्ष की जानकारी प्रस्तुत की।

मुंबई उच्च न्यायालय के अधिवक्ता संतोष आग्रे ने क्षोभ व्यक्त किया कि अभी तक महाराष्ट्र शासन द्वारा मुंबई उच्च न्यायालय में मराठी का प्रावधान करने के लिए भारत सरकार को कोई प्रस्ताव तक नहीं भेजा है। उन्होंने जन भाषा में न्याय के लिए संघर्षरत  देश के सभी लोगों को एकजुट होने की बात कही। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप कुमार ने विभिन्न स्तरों पर जनभाषा में न्याय में आने वाली बाधाओं का जिक्र करते हुए उस संबंध में संगठित प्रयास करने की बात कही।  

संगोष्ठी का संचालन व विषय प्रवर्तन करते हुए वैश्विक हिंदी सम्मेलन के निदेशक - डॉ मोतीलाल गुप्ता 'आदित्य' ने बताया कि किस प्रकार संविधान का अनुच्छेद 348 भाषा के मामले में संविधान के अनुच्छेद 343, 345, 350 और 351 को गौण बनाते हुए न्यायपालिका को भारत संघ, जनतंत्र और देश की जनता से भी ऊपर अलग सत्ता
 बना रहा है।


इसके पूर्व जनता की आवाज फाउंडेशन के अध्यक्ष सुंदरलाल बोथरा ने दोनों संस्थाओं के अभियान की जानकारी देते हुए जनभाषा में न्याय तथा  भारतवासियों को शीघ्रातिशीघ्र इंडिया शब्द को संविधान से हटवाने और भारत शब्द अपनाने के लिए आगे बढ़ना चाहिए। सत्र मैं सुश्री आरोही तैलंग ने जनभाषा में न्याय पर गीत रखा। कार्यक्रम में विनोद चौरड़िया मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के निवर्तमान कार्याध्यक्ष डॉ. शीतला प्रसाद दुबे सम्माननीय अतिथि थे। कानबिहारी अग्रवाल ने अतिथि परिचय दिया और  रितेश पोरवाल ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

         वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई

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प्रस्तुत कर्ता : संपत देवी मुरारकाविश्व वात्सल्य मंच

murarkasampatdevii@gmail.com  

लेखिका यात्रा विवरण

मीडिया प्रभारी

हैदराबाद

                                                      मो.: 09703982136 

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