मंगलवार, 23 अगस्त 2016

प्रवीण जैन

महोदय/महोदया, 
29 जून 2016 को मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा जारी राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रारूप केवल अंग्रेज़ी में सार्वजनिक किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए बनाया गया विशेष वेबपेज भी केवल अंग्रेजी http://mhrd.gov.in/nep-new में बनाया गया है. एक विदेशी भाषा में इसे जारी करने का उद्देश्य क्या है? क्या केवल ज्यादा अंग्रेजी पढ़े लिखे मुट्ठी भर लोग ही इस पर अपनी राय देने के अधिकारी हैं?

क्या सचमुच सरकार चाहती है कि केवल वही लोग सुझाव दें जो अंग्रेजी समझ सकते हैं? यह बात सरकारी अधिकारियों के बर्ताव से सही भी लगती है कि वे नीतियों के निर्माण में आम जनता की भागीदारी नहीं चाहते हैं इसलिए सभी नीति-नियम कानून एक फिरंगी भाषा में जारी किए जाते हैं ताकि आम जनता सुझाव देने से वंचित रह जाए।  

परन्तु यह राजभाषा कानून एवं राष्ट्रपति जी के आदेशों का उल्लंघन भी है, जिसमें कहा गया है कि सरकारी नीतियों के प्रारूप आम जनता के सुझाओं के लिए अनिवार्य रूप से राजभाषा में जारी किए जाएँ। 

मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि जनता के सुझावों के शिक्षा नीति'16 का प्रारूप अविलम्ब भारतीय भाषाओं में उपलब्ध करवाएँ ताकि भारत के नागरिक अपने सुझाव दे सकें। जब तक प्रारूप भारतीय भाषाओं में तैयार नहीं हो जाता है,सुझाव देने की अंतिम तिथि को आगे बढ़ाया जाए.

आपके उत्तर की प्रतीक्षा में।  

भवदीय
प्रवीण जैन 
201 ए, आदीश्वर सोसाइटी,
सेक्टर 9 ए, वाशी, नवी मुम्बई 400703 

प्रस्तुत कर्ता : संपत देवी मुरारका, विश्व वात्सल्य मंच
murarkasampatdevii@gmail.com  
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
     


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