शुक्रवार, 24 अक्टूबर 2014

स्वाधीन कृत “सुर्ख लहू के ख़्वाब” पुस्तक लोकार्पित











 स्वाधीन कृत सुर्ख लहू के ख़्वाब पुस्तक लोकार्पित

हिमायतनगर उर्दू हॉल हैदराबाद, हिंदी के मशहूर शायर और आलोचक शशिनारायण स्वाधीन का सम्मान करते हुए प्रमुख लेखिका श्रीमती संपत देवी मुरारका ने संवाददाताओं को बताया कि दक्षिण भारत में हिंदी और उर्दू की एकता की जश्ने स्वाधीन का आयोजन अपने आप में एक अद्भूत मिशाल है | श्रीमती मुरारका ने शॉल एवं पुष्पगुच्छ देकर कवि स्वाधीनजी का सम्मान किया | अवसर पर भारी संख्या में उपस्थित काव्य प्रेमियों को संबोधित करते हुए श्रीमती मुरारका ने कहा कि राजनीति जहाँ हमें तोड़ती वहीँ साहित्य का काम व्यक्ति के दिलों को जोड़ना होता है | जो कवि अपने काल सत्य को लिखता है उसकी कलम जनता की भावनाओं को अभिव्यक्ति दे पाती है | स्वाधीन की कलम एक जिन्दा मिशाल है | इस अवसर पर स्वाधीन जी की पुस्तक ‘सुर्ख लहू के ख़्वाब’ का लोकार्पण जे.बापू रेड्डी (आई.ए.एस.) के कर-कमलों द्वारा संपन्न हुआ |

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित विशेष मेट्रोपोलिटन जज बाशा नवाज खान ने श्रीमती मुरारका का समर्थन करते हुए बताया कि ऐसी लेखिकाओं की ओर से ही हिंदी उर्दू से जुड़ पा रही है | समारोह के अध्यक्ष श्री जे.बापू रेड्डी (आई.ए.एस.) ने श्रीमती मुरारका के विचारों को दोहराते हुए कहा कि स्वाधीन का साहित्य मानवीय मूल्यों और संवेदनाओं को समर्पित है | इस अवसर पर यूनाइटेड राइटर्स सोसाइटी के महासचिव श्री फरिदजिआई, अध्यक्ष आर. दूर्गाराज पटून और बंशीलाल ने भी अपने विचार रखे | मुख्य वक्ताओं के रूप में डॉ.अहिल्या मिश्र, दुर्गेश नंदिनी, लक्ष्मीदेवी राज, डॉ.रोहिताश्व, गोविन्द मिश्र, सुभाष शर्मा, ज्योति नारायण, मदनदेवी पोकरणा, लक्ष्मीनारायण अग्रवाल, मीना मूथा आदि के नाम उल्लेखनीय है | हैदराबाद के समस्त लब्ध प्रतिष्ठित उर्दू के शायर भी उपस्थित थे | रेशमा तब्बसुम ने सत्र का संचालन किया |

दुसरे सत्र में स्वाधीन की गजलों का सुमधुर स्वर में प्रसिद्ध गजल गायकों-मिर्जा मकसूद बैग, साजिद रौफ, उस्मान मिर्जा एवं सोम घोष ने गायन कर सभा में उपस्थित सभी को मन्त्रमुग्ध कर दिया | बंसीलाल के आभार के साथ ‘जश्न-ए-स्वाधीन’ कार्यक्रम का समापन हुआ |

संपत देवी मुरारका
अध्यक्ष-विश्व वात्सल्य मंच
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद

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