कादम्बिनी क्लब की मासिक गोष्ठी संपन्न
कादम्बिनी क्लब हैदराबाद के तत्वावधान में
कल रविवार दि.19 जनवरी को हिंदी प्रचार सभा परिसर में क्लब
की 257 वीं मासिक गोष्ठी का आयोजन प्रो.रोहिताश्व
की अध्यक्षता में संपन्न हुआ |
क्लब संयोजिका डॉ.अहिल्या मिश्र एवं
कार्यकारी संयोजिका मीना मूथा ने संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में आगे बताया कि इस
अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो.ऋषभदेव शर्मा, विशेष अतिथि डॉ.देवेन्द्र शर्मा एवं क्लब
संयोजिका डॉ.अहिल्या मिश्र मंचासीन हुए | सहसंयोजक ज्योति नारायण ने सरस्वती वंदना
प्रस्तुत की | मीना मूथा ने सभी का स्वागत किया | डॉ.मिश्र ने नववर्ष की
शुभकामनाएं देते हुए कहा कि संस्था के दो दशकों की निरंतरता में आप सभी
लेखक-लेखिकाओं-श्रोताओं का अमूल्य सहयोग रहा है | अतिथियों का जबलपुर में ए.जी.आई. अधिवेशन में लोकार्पित क्लब प्रकाशन
पुष्पक- 24 की प्रति एवं पुष्प से क्लब की ओर से
स्वागत किया गया |
प्रथम सत्र में पटना से प्रकाशित
त्रैमासिक “हरित वसुंधरा” पर सरिता सुराणा जैन ने कहा कि संपादकीय में डॉ.मेहता ने एक ज्वलंत
प्रश्न पाठकों के सम्मुख प्रस्तुत किया है किहर मनुष्य ‘जीवेम शरद:शतम’ की कामना
करता है लेकिन प्रकृति और पर्यावरण से विमुख होकर शतायु की कामना करना हास्यास्पद
नहीं है ? अरण्य संस्कृति ही भारत की मूल संस्कृति है | ध्वनि-जल-वायु-खाद्य
प्रदूषण के साथ-साथ हम सामाजिक-सांस्कृतिक-धार्मिक-नैतिक प्रदूषण से भी बूरी तरह
प्रभावित हैं | पत्रिका में प्रकृति, पर्यावरण के प्रति जनचेतना जागृत करने का
प्रयास निष्ठां से किया गया है | कहानी, कविता, पर्यावरण ज्ञान मंजुषा पठनीय है |
मुखपृष्ठ नामानुकूल है | डॉ.देवेन्द्र शर्मा ने कहा कि संपादकीय हमें प्रकृति में
हो रहे वैश्विक तापमान के बढ़ते जलवायु परिवर्तन की ओर ध्यान आकर्षित करता है |
विकास और प्रकृति संरक्षण एक दूसरे के पूरक बने तभी स्वस्थ और संपन्न जीवन संभव है
| कृषकों के लिए व्यावहारिक लेख है | लघु प्रश्नोत्तरी ज्ञानवर्धक है | पत्रिका
बहुउपयोगी है |
पुष्पक-24 पर
अपनी बात रखते हुए मीना मूथा ने कहा कि विगत 23 पंखुड़ियों
का साथ निभाना और 49 रचनाकारों के वैविध्य पूर्ण साहित्य से सजा पुष्पक-24 निश्चित ही पठनीय-संग्रहणीय बन पड़ा है | 6
कहानियां, 6 लघुकथाएं,
21 कवितायें (गीत, गजल, हायकू), संस्मरण, समीक्षा,
आलेख, उपन्यास अंश, शोधपरक आलेख, सम्मानित रचनाकारों की जानकारी, संरक्षक-नए
सदस्यों की सूची आदि का सुन्दर संमिश्रण पुष्पक को स्तरीय बनाने में सहयोगी है |
संपादानीय में समाज में सांस्कृतिक द्वंद्व और संघर्ष की बिकट स्थिति पर चिंता
जताई | समय पर प्रकाशन, संपादक मंडल के अथक प्रयास, बधाई के पात्र है | प्रबंध
सहयोगी लक्ष्मीनारायण अग्रवाल ने कहा कि डॉ.रमा जी और उनका ईमेल आयडी दिया गया है,
उस पर रचनाएँ भेज सकते हैं | नीलम कुलश्रेष्ठ की ‘शेर के पिंजड़े में’ अवश्य पढ़ने
का भी उन्होंने अनुरोध किया |
प्रो.ऋषभदेव ने कहा कि सरिता जी और
डॉ.देवेन्द्र जी की पर्यावरण पर टिप्पणियाँ दर्शाती है कि उन्होंने विस्तार में
जाकर इसे हमारे सामने प्रस्तुत किया है | प्रकृति के प्रति सचेत रहने की
जिम्मेदारी हर आम आदमी की है | मीना जी ने भी पुष्पक में शामिल हर विधा को
प्रस्तुत किया है जिससे हमें भी यह लग रहा है कि हर उस रचना को पढ़ें |
प्रो.रोहिताश्व ने अध्यक्षीय बात रखते हुए
कहा कि साहित्य स्वस्थ वातावरण का निर्माण करता है | पर्यावरण लेखन एवं पुष्पक
साहित्य संकलन में अनुदित साहित्य को भी शामिल करें | डॉ.रमा द्विवेदी ने सदस्यों
को उनके जन्मदिन-विवाह दिन एवं सम्मान प्राप्ति पर बधाई दी | प्रथम सत्र का संचालन
मीना मूथा ने किया |
तत्पश्चात प्रो.ऋषभदेव शर्मा की
अध्यक्षता, गीतकार नरेंद्र राय ‘नरेन’ के आतिथ्य और लक्ष्मीनारायण अग्रवाल के
संचालन में समसामायिक विषयों पर कविगोष्ठी हुई | इसमें दीपशिखा पाठक, भावना
पुरोहित, संपत देवी मुरारका, भंवरलाल उपाध्याय, सत्यनारायण काकडा, उमा सोनी,
डॉ.रमा द्विवेदी, सूरजप्रसाद सोनी, पवित्रा अग्रवाल, ज्योति नारायण, गुरुदयाल
अग्रवाल, सरिता सुराणा जैन, डॉ.अहिल्या मिश्र, के.एम. लोंगपुरिया, सुषमा बैद, सरला
प्रकाश भूतोड़िया, मीना मूथा, हेमांगी ठाकर, सुनीता गुप्ता, एल.रंजना, आशीष नैथानी
सलिल, नरेंद्र राय, ने काव्यपाठ किया | प्रो.ऋषभदेव जी ने अध्यक्षीय काव्यपाठ किया
| वी.वरलक्ष्मी, महेन्द्रनाथ पाठक, भूपेन्द्र मिश्र भी इस अवसर उपस्थित थे | मीना
मूथा के आभार के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ |
संपत देवी मुरारका
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
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