कादम्बिनी क्लब की 234 वीं गोष्ठी संपन्न
कादम्बिनी क्लब की 234 वीं गोष्ठी संपन्न
कादम्बिनी क्लब हैदराबाद 234 वीं मासिक गोष्ठी हिन्दी प्रचार सभा परिसर में स्थित शिक्षक-प्रशिक्षण महाविधालय में रविवार 19 फरवरी 2012 के दिन 11.30 बजे से संपन्न हुई इसकी अध्यक्षता प्रो. ऋषभदेव शर्मा (विभागाध्यक्ष, उच्च शिक्षा शोध संस्थान द.भा.हि.प्रचार सभा खैरताबाद) ने की | डॉ. देवेन्द्र शर्मा, डॉ. अमरनाथ मिश्र एवं डॉ. अहिल्या मिश्र (क्लब संयोजिका) मंचासीन हुए | श्रीमती ज्योति नारायण के सरस्वती वन्दना से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ | डॉ. अहिल्या मिश्र सभी का स्वागत करते हुए कहा कि क्लब अपने विभिन्न कार्यक्रमों में एक नया अध्याय जोड़ने जा रहा है | अब क्लब में नई पीढ़ी के साहित्यकार के साथ परि-पक्व साहित्यकार एवं सृजनकारों की रचनाओं का पाठ रखकर सभी रचनाकारों को रचना के सभी बारीकियों से आमने-सामने होने का सुअवसर मिले और अपनी रचना की कमियों को स्वयं सुधारने का प्रयास कर सकें |
क्लब की ओर से डॉ. अमरनाथ मिश्र को एक परिपक्व रचनाकार के रूप में आमंत्रित कर उनकी चुनी हुई चार हिन्दी एवं एक मैथिली रचनाओं का पाठ करने आमंत्रित किया | उनके काव्य पाठ के पश्चात इसपर चर्चा परिचर्चा रखी गई | नीम के पत्ते, राजनीति से, हारा हुआ इन्सान एवं खून चढ़ेगा तथा मैथिली कविता ‘दालान’ पर कई लोगों ने विचार रखे | डॉ. अहिल्या मिश्र ने कहा कि ‘दालान’ कविता बिहार के गाँव का सम्पूर्ण परिवेश का सजीव चित्रण किया गया है | भगवानदास जोपट ने कहा कि नीम की सहमी डाल पर्यावरण की उपयोगिता और मनुष्य पर उपकार करता है | वहीं भारतीय राजनीति पर गहरा व्यंग करता है | हारा हुआ इन्सान आदमी की विवशता पर व्यंग है | खून चढ़ेगा में इन्सानी खून की निजारत पर तीखा व्यंग है | विनीता शर्मा जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मिश्र जी की कविताएँ उत्तम शब्द चयन एवं भावों की गंभीरता लिए हुई हैं | एस. नारायण राव कहा कि उनकी कविता पर बोलना सूर्य को टार्च लाईट दिखाना है | भँवरलाल उपाध्याय ने कहा कि बहुत ही सुन्दर मिथकों का प्रयोग किया गया है | ज्योति नारायण ने भी अपनी बात रखी | डॉ. देवेन्द्र शर्मा जी ने कहा संदेशमयी कविताएँ है | प्रो. ऋषभदेव शर्मा ने अध्यक्षीय टिप्पणी देते हुए कहा कि डॉ. अमरनाथ मिश्र की कविताओं में लोक संस्कृति की ताजगी है | इसकी अनुभूति अधिकतर रचनाओं में होती है | रिश्तों की छीजन उनकी मैथिली रचना में दिखाई देती है | इनकी हर रचना में रिफ्लेक्शन है | अंत में हर कविता का पंच है | जैसे मनुष्य दुनियाँ के हर जीव का खून पचा सकता है, तीखा व्यंग है | रचनाओं के माध्यम से समझा जा सकता है | मिश्र जी की रचनाओं में सृजनात्मक शक्ति है | परिपक्व रचनाएँ हैं | कविता में एक से अधिक संस्तर होते हैं | प्रथम भाग का संचालन करते हुए डॉ. अहिल्या मिश्र ने कहा कि अमरनाथ जी की रचनाओं ने हलचल मचा दी | इसमें शैली और मिथक का निर्वाह हुआ है |
कार्यक्रम के दूसरे चरण में काव्य गोष्ठो का आयोजन हुआ | इसमें संचालक भँवरलाल उपाध्याय के साथ सर्व श्री डॉ. देवेन्द्र शर्मा, डॉ. अहिल्या मिश्र, प्रो. ऋषभदेव शर्मा, विनीता शर्मा, डॉ. रमा द्विवेदी, संपत देवी मुरारका, डॉ. अमरनाथ मिश्र, विनय कुमार झा, डॉ. सीता मिश्र, ज्योति नारायण, भगवानदास जोपट, भावना पुरोहित, एस. नारायण राव, लीला बजाज, उमा सोनी, सत्यनारायण काकडा, गौतम दीवाना, विनय कुमार लाल, निवेदिता झा आदि ने अपनी रचनाओं का पाठ किया | डॉ. रमा द्विवेदी ने इस माह में आने वाले जन्म दिवस एवं विवाह दिवस पर उन्हें बधाई दी | डॉ. सीता मिश्र के धन्यवाद से कार्यक्रम संपन्न हुआ |
डॉ. अहिल्या मिश्र
संयोजिका कादम्बिनी क्लब
संपत देवी मुरारका
संरक्षक कादम्बिनी क्लब
हैदराबाद
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