शुक्रवार, 21 अगस्त 2015

तृतीय अंतर्राष्ट्रीय साहित्य सम्मेलन तथा सम्मान समारोह संपन्न-चेन्नै




तृतीय अंतर्राष्ट्रीय साहित्य सम्मेलन तथा सम्मान समारोह संपन्न-चेन्नै

तमिलनाडु हिंदी साहित्य अकादमी चेन्नै एवं यूनाइटेड इण्डिया इंश्युरेंस कं.लि. चेन्नै के संयुक्त तत्त्वावधान में दि. 10 जनवरी 2015 को प्रात: 9.30 बजे विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर तृतीय अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सम्मेलन का आयोजन नुंगम्बाक्कम, चेन्नै स्थित यूनाइटेड इण्डिया लर्निंग सेंटर के परिसर के सभागार में संपन्न हुआ |

इस अवसर पर समारोह की मुख्य अतिथि श्रीमती मृदुला सिन्हा (महामहिम राज्यपाल गोवा), विशिष्ट अतिथि डॉ.साकेत कुमार कुशवाहा (कुलपति, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा), डॉ.प्रदीप कुमार शर्मा (उप निदेशक, केन्द्रीय हिंदी विदेशालय, शास्त्री भवन, चेन्नै), श्री मिलिंद खरात (अध्यक्ष सह प्रबंधक, यूनाइटेड इण्डिया इंश्युरेंस कं.लि. चेन्नै), श्रीमती पी.हेमामालिनी (महाप्रबंधक, यूनाइटेड इण्डिया इंश्युरेंस कं.लि. चेन्नै), श्री प्यारेलाल पीतलिया (पूर्व सदस्य, तमिलनाडु अल्पसंख्यक आयोग, चेन्नै), श्री ईश कुमार (महाप्रबंधक, यूनाइटेड इण्डिया इंश्युरेंस कं.लि. चेन्नै), रमेश गुप्त नीरद (अध्यक्ष, तमिलनाडु हिन्दी साहित्य अकादमी, चेन्नै) तथा मधु धवन मंचासीन हुए |

इस अवसर पर अकादमी की ओर से देश-विदेश के कुल 20 हिन्दी सेवियों और साहित्यकारों को विभिन्न सम्मान और पुरस्कार प्रदान किये गए, जिनमें श्री के.वी.रामचंद्रन, श्रीमती के.सुलोचना, श्री पी.आर.सुरेश, डॉ.रविता भाटिया, श्रीमती के.पद्मेश्वरी एवं डॉ.अब्दुल मलिक को हिन्दी सेवी सम्मान | डॉ.एम.गोविंदराजन, डॉ.वत्सला किरण, श्री मोहन बजाज और डॉ.आनंद पाटिल को अनुदित कृति सम्मान | श्री प्रह्लाद श्रीमाली, डॉ.निर्मल एस.मौर्य, श्री महेंद्र कुमार और श्री ईश्वर करूण को मौलिक कृति सम्मान | श्री राजवेल (दक्षिण भारत हिंदी प्रचार प्रकाशन) को सहस्रबाहु प्रकाशन सम्मान | डॉ.राज हीरामन (मॉरिशस) एवं आइरिश रू.यू.लून (चीनी प्राध्यापिका) को विश्वजनीन सम्मान से सम्मानित किया गया |

इस अवसर पर हिन्दी भाषा और साहित्य की सेवा के लिए जीवनोपलब्धि सम्मान प्राप्त करने वाले हिन्दी सेवियों में डॉ.पि.के. बालसुब्रह्मन्यन (तमिल-हिन्दी साहित्यकार) को श्रीमती शकुंतला धवन साहित्य शिरोमणि सम्मान (जीवनोपलब्धि सम्मान), तेवरी आंदोलन के प्रवर्तक डॉ.ऋषभदेव शर्मा (आचार्य एवं अध्यक्ष, उच्च शिक्षा शोध संस्थान, हैदराबाद) को श्रीमती शकुंतलारानी चोपड़ा साहित्य शिरोमणि सम्मान (जीवनोपलब्धि सम्मान), तथा श्रीमती वी.जी. भूमा ( निदेशक, सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ क्लासिकल तमिल, चेन्नै) को श्री विजयमधु धवन अष्टसिद्धि सम्मान (जीवनोपलब्धि सम्मान) से सम्मानित किया गया | इन्हें प्रशस्ति-पत्र, शाल, स्मृति-चिह्न और 21,000 रू. धनराशि से सम्मानित किया गया | यह सम्मान मुख्य अतिथि के रूप में पधारी गोवा की राज्यपाल महामहिम मृदुला सिन्हा ने प्रदान किया |

इस अवसर पर कु.विदिशा पांडा (केन्द्रीय विद्यालय-2, तांबरम) ने सुन्दर लघु नृत्य की प्रस्तुति दी |  मुख्य अतिथि गोवा की राज्यपाल महामहिम मृदुला सिन्हा ने सभी साहित्यकारों का हिन्दी प्रेमियों
का आह्वान करते हुए कहा कि हिन्दी हमारी भारत की भावना को अभिव्यक्त करने वाली भाषा है | इसका
स्थान तुलसी चौरे जैसा पवित्र है और हमारे संस्कार से जुड़ा है | उन्होंने कहा कि हम अपने अंगों को सुशोभित करने के लिए अलग-अलग प्रकार के गहनों को बनाते हैं, किन्तु सबसे महत्त्वपूर्ण अंग जो हमारे अंदर है वह है ह्रदय और उसका गहना भावना-संवेदना है, जिसे हमारी अपनी भाषा ही अभिव्यक्त कर सकती है | इसी प्रकार हिन्दी ह्रदय का आभूषण है | घर में बच्चों को मातृभाषा की शिक्षा दी जानी चाहिए | उन्होंने अपने व्यक्तिगत संस्मरण सुनाते हुए कहा कि उनके दो बच्चे विदेश में रहते हैं, लेकिन आज भी वह अपने घर में बोलचाल के लिए हिन्दी का ही उपयोग करती हैं | उन्होंने कहा कि जब वे अंग्रेजी में बात करती है तो उनका दिमाग काम करता है, लेकिन जब वह हिन्दी में बोलती है तो उनका दिल काम करता है | उन्होंने अत्यंत गदगद होकर अपने संबोधन में कहा कि अंतर्मन जब पूरी तरह से भीगता है तो शब्द नहीं फूटते | आज मैं पूरी तरह से भीग गई हूँ | अम्मा मिले तो खूब बतियाओ | गंगा मिले तो डूब के नहाओ और हिन्दी मिले तो खूब दिल खोल कर बतियाओ | हर भारतीय के ह्रदय को स्पंदित करने वाली भाषा है हिन्दी | हिन्दी जोड़ने वाली भाषा है | थोड़ी दूर से आई हूँ, विश्वास का तोहफा लाइ हूँ | हिन्दी बोलते रहिये, अभ्यास कीजिये, अपने घर परिवार में हिन्दी को प्रतिस्थापित करें | वह दिन दूर नहीं जब विश्व के आँगन में हिन्दी तुलसी चौरा की तरह अवश्य स्थापित होगी |

स्वागत भाषण तमिलनाडु हिन्दी साहित्य अकादमी के अध्यक्ष रमेश गुप्त नीरद ने दिया | उन्होंने अपने संबोधन में मुख्य अतिथि सहित अन्य अतिथियों एवं सभी आगुन्तकों का स्वागत किया | उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि हिन्दी देश को जोड़ने की भाषा है और अगर कोई इसे सिखने-सिखाने और प्रचार-प्रसार में बाधक बनाते हैं तो इससे उनका ही नुकसान होगा क्योंकि हिन्दी एक ऐसी भाषा है जो देश के 85 प्रतिशत लोगों द्वारा बोली समझी जाती है |

इस अवसर पर कई पुस्तकों का विमोचन भी किया गया | इनमें राज्यपाल मृदुला सिन्हा द्वारा लिखित पुस्तक ‘परितप्त लंकेश्वरी’ के अतिरिक्त डॉ.मधु धवन की पुस्तक ‘साहित्य निबंध’, प्रकाश उनियाल द्वारा लिखित ‘माटी की सुंगंध’, डॉ.हुसैन वली द्वारा लिखित ‘नागार्जुन के ग्रामीण उपन्यास : एक अध्ययन’ सम्मिलित हैं | साहित्यकारों के सम्मान के उपरांत ‘प्रौद्योगिकी और हिन्दी’ पर संगोष्ठी, के.वि. वि.,तिरवारुर के छात्रों द्वारा असगर वजाहत के नाटक ‘इन्ना की आवाज’ की मंचीय प्रस्तुति, काव्यगोष्ठी एवं रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी संपन्न हुए | कार्यक्रमों का संचालन डॉ.श्रावणी पांडा, डॉ.रविता भाटिया, डॉ.मधु धवन एवं ईश्वर करूण ने किया | कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान से हुआ |
प्रस्तुति: संपत देवी मुरारका email-murarkasampatdevii@yahoo.co.in
संपत देवी मुरारका
अध्यक्षा, विश्व वात्सल्य मंच
लेखिका, यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
मो.नं. 09703982136 

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