भारत - भाषा प्रहरी बालेन्दु शर्मा दाधीच
- ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ द्वारा गोवा की राज्यपाल माननीय श्रीमती मृदुला सिन्हा के हाथों ‘सम्मान’
वाणिज्य-व्यापार या ज्ञान-विज्ञान आदि के विभिन्न क्षेत्र, जहाँ से भारतीय भाषाओं का आधार खिसक रहा है। वहाँ भी अक्सर यह देखने में आया है कि जब इन क्षेत्रों में हिंदी व भारतीय भाषाओं के प्रयोग की बात आती है तो भी अक्सर लोग कहानी-कविता और हास्य, नृत्य संगीत का योजन कर अपने कर्तव्य की इतिश्री करते दिखाई देते हैं । लगता है जैसे कि कोई बिना खाद व सिंचाई के जड़ों के बजाए केवल पत्तों पर पानी की कुछ बुंदें डालकर फसल की रक्षा का दिखावा कर रहा है। किसी भी देश में साहित्य, नृत्य-संगीत क्षेत्र निश्चय ही महत्वपूर्ण हैं लेकिन जहाँ प्रश्न व्यवहार में भाषा के प्रयोग के बढ़ाने के उपायों का हो तो वहाँ उन क्षेत्रों की आश्यकताओं के अनुसार ही कार्य की अपेक्षा होती है।
पिछले कुछ समय में विभिन्न क्षेत्रों के कार्य-व्यापार में जो एक बड़ा परिवर्तन आया वह था सूचना-प्रौद्योगिकी का। हर बार हर मोर्चे पर आयातित सूचना-प्रोद्योगिकी के अंग्रेजी में होने के चलते भारतीय भाषाएँ अंग्रेजी और रोमन लिपि के मुकाबले पिछड़ती गईं। अब जबकि देश ई गवर्नेंस, पेपरलैस ऑफिस, डिजिटल इंडिया के दौर मे प्रवेश कर रहा है, लेकिन अभी भी भाषा के प्रयोग व प्रसार के लिए इस मामले में भाषाकर्मियों में प्राय: उदासीनता का माहौल दिखता है। यह बिल्कुल तय है कि भारतीय भाषाओं के लिए प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निरंतर विश्व के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चले बिना भारतीय भाषाओं का प्रयोग व प्रसार बढ़ाना संभव नहीं है। लेकिन इसी बीच एक अच्छी बात यह हुई है कि भारतीय भाषा–प्रेमियों के एक ऐसे वर्ग का उदय हुआ जो सूचना-प्रोद्योगिकी में दक्ष है और उसने अपनी भाषाओं के प्रति प्रेम के चलते संघ की राजभाषा हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं के प्रयोग के लिए न केवल जमीन तैयार की है। भाषा-प्रौद्योगिकी की तमाम आवश्यकताओं में प्रयोग के लिए आवश्यक उपाय करने के साथ-साथ उसकी जागरूकता बढ़ाने के लिए उसने महत्वपूर्ण कार्य किया है। आज के दौर में यदि भारतीय भाषाओं को अपने अस्तित्व की रक्षा करनी है और आगे बढ़ना है तो ई उपकरणों के सिवा कोई चारा नहीं है और इस क्षेत्र में जो लोग भारतीय भाषाओं के प्रहरी बन कर भारतीय भाषाओं को आगा बढ़ाने के कार्य में लगे हैं उनमें प्रमुख नाम है – ‘ बालेन्दु शर्मा दाधीच ।
प्रमुख हिंदी वेब पोर्टल प्रभासाक्षी डॉट कॉम के समूह संपादक, तकनीकविद् और स्तंभकार बालेन्दु शर्मा दाधीचसूचना प्रौद्योगिकी और न्यू मीडिया के क्षेत्र में एक सुपरिचित नाम हैं। उनकी गणना हिंदी और तकनीक के बीच अनुकूलता विकसित करने में जुटे हिंदी सेवियों में होती है । 10 सितंबर 2014 को मुंबई में ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ द्वारा बालेन्दु शर्मा दाधीच को गोवा की राज्यपाल श्रीमती मृदुला सिन्हा द्वारा ‘भाषा प्रौद्योगिकी सम्मान’ प्रदान किया गया। और अभीकेंद्रीय हिंदी संस्थान के हिंदी सेवी सम्मानों के अंतर्गत आत्माराम पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है।
बालेन्दु शर्मा दाधीच द्वारा हिंदी व भारतीय भाषाओं के प्रयोग व प्रसार के क्षेत्र में किए गए कार्यों की लंबी फेहरिस्त है। उनकी चुनिंदा उपलब्धियाँ इस प्रकार हैं- (सभी वेब लिंक पूरी तरह सक्रिय हैं)
1.हिंदी वर्ड प्रोसेसर 'माध्यम'का निर्माण और निःशुल्क वितरण। एक लाख से अधिक प्रतियाँ डाउनलोड। यह सन् 1999 में जारी किया गया जब हिंदी में एक भी निःशुल्क वर्ड प्रोसेसर उपलब्ध नहीं था। डाउनलोड लिंक- http://www.balendu.com/madhyam
-हिंदी में डायनेमिक फॉन्ट का सर्वप्रथम प्रयोग करने वाली चंद वेबसाइटों में से एक।
-हिंदी का एकमात्र पोर्टल जिसमें हर आलेख ग्रामीण पाठकों की सुविधा के लिए यूनिकोड के साथ-साथ कृति फॉन्ट में भी स्वतः उपलब्ध होता है
4. हिंदी ईमेल में जंक यूनिकोड की समस्या का समाधान करने के लिए 'संशोधक' नामक वेब सेवा का विकास (2003) लिंक- http://www.balendu
5. यूनिवर्सिटी ऑफ पेन्सिलवेनिया के हिंदी पाठ्यक्रम के वेब संस्करण के विकास में सहयोग। यूआरएल
7. आठवें विश्व हिंदी सम्मेलन (न्यूयॉर्क) की हिंदी-अंग्रेजी द्विभाषीय वेबसाइट का निर्माण और संचालन (2007)
8. आठवें विश्व हिंदी सम्मेलन (न्यूयॉर्क) में आयोजित हिंदी तकनीकी प्रदर्शनी का संयोजन। चित्रः न्यूयॉर्क में प्रदर्शनी का उद्घाटन - प्रेस को संबोधन।
9. हिंदी में यूनिकोड तकनीक के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए निर्मित पहली द्विभाषीय वेबसाइट लोकलाइजेशनलैब्स का निर्माण और संचालन।
10. हिंदी में तकनीक पर पुस्तक'तकनीकी सुलझनें'। पहला संस्करण सिर्फ चार महीने में आउट ऑफ प्रिंट हुआ (2014)
12. हिंदी इंटरफेस के साथ निःशुल्क चित्र संपादन सॉफ्टवेयर 'झटफोटो' का विकास और निःशुल्क वितरण। डाउनलोड लिंक-
13. हिंदी वेबसाइटों पर ऑडियो सुविधा जोड़ने के लिए निःशुल्क टूल'तरंग' का विकास और निःशुल्क वितरण।
15. ग्यारह हिंदी अखबारों और पत्रिकाओं में तकनीक पर हिंदी में निम्न नियमित स्तंभ लिखे हैं-
- कादम्बिनी-आईटी नुक्कड़ (मासिक)
- सहारा समय (साप्ताहिक पत्र)-वेब विनोद
- संडे नई दुनिया-साइबर समाचार (साप्ताहिक)
- नवभारत टाइम्स-टेक्नो ट्रिक्स (साप्ताहिक)
- जागरण-तकनीक (साप्ताहिक युवा परिशिष्ट),
- राजस्थान पत्रिका-महिला ब्लॉगर (साप्ताहिक महिला परिशिष्ट),
- नंदन (मासिक)-टेक्नो अपडेट,
- हिंदुस्तान-गैजेट्स (नई दिशाएँ, साप्ताहिक)और
- राष्ट्रीय सहारा-टेक्नोवर्ल्ड(साप्ताहिक, जारी..)
- प्रवासी संसार- हिंदी तकनीक (मासिक)
- एनीमेशन टुडे (ग्राफ़िक्स पर मासिक)
16. हिंदी के प्रारंभिक ब्लॉगरों में शामिल। सन् 2005 में हिंदी ब्लॉग वाह मीडिया का निर्माण। सन् 2008 से हिंदी ब्लॉग मतान्तर।
17. दो विश्व हिंदी सम्मेलनों में हिंदी तकनीक आधारित चर्चा सत्रों का संचालन। 1. न्यूयॉर्क और 2. जोहानीसबर्ग।
18. गत 15 वर्षों में हिंदी में तकनीकी विषयों पर 1000 से ज्यादा लेख मुख्यधारा के मीडिया में।
19. विश्व की सबसे बड़ी बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट द्वारा तीन साल (2007-2009) तक माइक्रोसॉफ्ट मोस्ट वेल्युएबल प्रोफेशनल अवार्ड से सम्मानित।
20. विश्व की सबसे बड़ी इंटरनेट कंपनी गूगल द्वारा आयोजित प्रतियोगिता ‘है बातों में दम’ के विजेताओं में शामिल (2010)
21. विंडोज एक्सपी लोकलाइजेशन तथा हेल्प परियोजना में योगदान। यह विंडोज़ एक्सपी के हिंदीकरण
22. माइक्रोसॉफ्ट विज़ुअल स्टूडियो 2008 लोकलाइजेशन (क्लिप) के हिंदीकरण में योगदान आदि।
23.दक्षिण अफ्रीका और मॉरीशस में अलग-अलग वर्षों में लगभग 1000 से अधिक हिंदी प्रेमियों को हिंदी कामकाज, हिंदी ब्लॉगिंग, मल्टीमीडिया, हिंदी वेब पत्रकारिता आदि में प्रशिक्षित किया।
24.टेलीविजन और रेडियो पर दर्जनों तकनीक आधारित कार्यक्रमों में विशेषज्ञ के तौर पर हिस्सेदारी।- एनडीटीवी, दूरदर्शन, लोकसभा टीवी, राज्यसभा टीवी, सीएनईबी आदि टी.वी. चैनल।
25.देश-विदेश में आयोजित दो सौ से अधिक आयोजनों में सूचना तकनीक, न्यू मीडिया, वेब पत्रकारिता आदि विषयों पर व्याख्यान।
26.हिंदी विश्वकोश परियोजना में तकनीकी खंड के लिए आधिकारिक योगदान।
27. वर्तमान परियोजनाएँ- दृष्टि बाधितों के लिए हिंदी टाइपिंग सॉफ्टवेयर पर कार्य जारी।
28.नई पुस्तक- नित नूतन तकनीक (सर्वाधिक आधुनिक तकनीकों पर हिंदी में प्रामाणिक जानकारी) का शीघ्र प्रकाशन।
29.सीडैक (CDAC) की हिंदी परियोजनाओं से संबंधित तीन उच्च स्तरीय समीक्षा समितियों की सदस्यता। रिपोर्ट तैयार करने में प्रधान भूमिका।
30.ब्रिटेन के हिंदी लेखकों की पुस्तकों के बहुभाषीय (हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी, उर्दू) संकलन COLORS OF POETRY का प्रकाशन। सौजन्य- काव्य रंग, नॉटिंघम, यूके।
31. माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल, के शोध आधारित त्रैमासिक जर्नल ‘मीडिया मीमांसा’ के न्यू मीडिया विशेषांक (द्विभाषीय) का अतिथि संपादन।
32. हिंदी में कंप्यूटर पर माउस टाइपिंग के लिए स्क्रीन आधारित टाइपिंग प्रणाली ‘वर्चुअल हिंदी टाइपराइटर’ का विकास।
33. आठ देशों (अमेरिका, इंग्लैंड, मॉरीशस, रूस, दक्षिण अफ़्रीका, जापान, नेपाल और भारत) में हिंदी से संबंधित सम्मेलनों, कार्यशालाओं, गोष्ठियों, प्रशिक्षण कार्यक्रमों में प्रतिभागिता और संचालन।
34. एक दर्जन से अधिक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार और सम्मान। सरकारी तथा निजी दोनों श्रेणियों में।
35. उत्तराखंड विश्वविद्यालय, हल्द्वानी, के पाठ्यक्रम में न्यू मीडिया (वेब पत्रकारिता) पर दो आलेख शामिल।
क. न्यू मीडिया के लिए लेखन ख. न्यू मीडिया की सीमाएँ
तकनीकी शैक्षणिक योग्यता-
1, मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशंस (MCA), 2. मास्टर ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट (सिस्टम्स) (MBA)
3. माइक्रोसॉफ्ट सर्टिफाइड सिस्टम इंजीनियर (MCSE, MCP, MCSE +I), 4. मास्टर ऑफ साइंस (M.Sc.)
तकनीकी व्यावसायिक पृष्ठभूमि-
मोरारका समूह में मुख्य महाप्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) C G M(IT)के पद पर तकनीकी क्षेत्र में विशेषज्ञता- 1. वेब निर्माण 2. सॉफ्टवेयर निर्माण 3. तकनीक पर लेखन 4. मल्टीमीडिया (वीडियो, ऑडियो, प्रेजेन्टेशन), 5. आधुनिक प्रकाशन तकनीकें (पेजमेकिंग, डिज़ाइन), 6. बहुभाषीय प्रणालियाँ 7. स्थानीयकरण. 8. सोशल मीडिया
पेशेवराना पृष्ठभूमि
1.राजस्थान पत्रिका समाचार पत्र समूह 2. इंडियन एक्सप्रेस समाचार पत्र समूह 3. हिंदुस्तान टाइम्स समाचार पत्र समूह 4. सहारा समाचार पत्र समूह ।
इसके अतिरिक्त
balendu.com पर बड़ी मात्रा में आलेख, ऑडियो (व्याख्यान आदि), वीडियो, चित्र, डाउनलोड योग्य सॉफ़्टवेयर तथा अन्य सामग्री उपलब्ध है।
इस युवावस्था में तमाम शैक्षणिक, तकनीकी योग्यताओं से लैस होकर एक पेशेवर विशेषज्ञ के रूप में भारतीय भाषाओं के लिए प्रौद्योगिकी का सुदृढ़ आधार प्रदान करते हुए ‘भारत-भाषा प्रहरी’ के रूप में बालेन्दु शर्मा दाधीच ने जिस प्रकार भारतीय भाषाओं के कार्य किया है वह न केवल उल्लेखनीय है बल्कि उससे हिंदी के प्रयोग व प्रसार की राह प्रशस्त हुई है । हम आशा करते हैं कि भारत -भाषा प्रहरी बालेन्दु शर्मा दाधीच से प्रेरणा पाकर और भी युवा भाषा –प्रौद्योगिकी की नवीनतम प्रविधियों के साथ उद्योग, ज्ञान-विज्ञान, वाणिज्य- व्यापार व शिक्षा आदि विभिन्न क्षेत्रों में भविष्य में भारतीय भाषाओं के प्रयोग की अभिवृद्धि के वाहक बनेंगे ।
डॉ. एम.एल. गुप्ता ‘आदित्य’
वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई
प्रस्तुत कर्त्ता
संपत देवी मुरारका
अध्यक्षा, विश्व वात्सल्य मंच
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद