शुक्रवार, 21 नवंबर 2014

पुरस्कार प्रदान एवं पुस्तक लोकार्पण समारोह संपन्न



प्रथम साहित्य मंथन सृजन पुरस्कारग्रहण करते हुए अरुणाचल प्रदेश की हिंदी लेखिका डॉ. जोराम यालाम नाबाम. साथ में – प्रो. ऋषभदेव शर्मा,  प्रो. एम. वेंकटेश्वर, विवेक नाबाम, प्रो.देवराज, . प्रो. एन. गोपि और  पद्मश्री जगदीश मित्तल, 


डॉ. जोराम यालाम नाबाम की पुस्तक के अंग्रेजी अनुवाद तानी मोमेनका लोकार्पण करते हुए प्रो. एम. वेंकटेश्वर. साथ में प्रो. देवराज, प्रो. एन. गोपि, पद्मश्री जगदीश मित्तल, अनुवादक विवेक नाबाम, लेखिका डॉ. जोराम यालाम नाबाम, डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा और प्रो. ऋषभदेव शर्मा. 







संबोधन को सुनते हुए तल्लीन श्रोता.





अरुणाचल प्रदेश की हिंदी लेखिका डॉ. जोराम यालाम नाबाम का सम्मान करते हुए लेखिका संपत देवी मुरारका 


प्रो. देवराज के साथ लेखिका संपत देवी मुरारका 

पुरस्कार प्रदान एवं पुस्तक लोकार्पण समारोह संपन्न 


हैदराबाद, 15 नवंबर 2014..

मेरी माँ कहती थी कि चमत्कार पर विश्वास मत करो बल्कि चमत्कार को देखना सीखो | आज मेरी माँ मुझे याद आ रही है क्योंकि हैदराबाद के इस सभागार में मेरे लिए चमत्कार हो रहा है | मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि प्रेम के इस शहर में मुझे इतने महत्वपूर्ण पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है | मेरे पास शब्द नहीं है कि इस खुशी को अभिव्यक्त कर सकूँ | बस महसूस कर रही हूँ | मुझे लग रहा है कि साहित्य मंथनने मुझ पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी भी डाल दी है कि मैं लगातार अधिक से अधिक लिखती रहूं |’

ये उद्गार अरुणाचल प्रदेश की पहली हिंदी कथाकार डॉ. जोराम यालाम नाबाम ने साहित्य मंथनके तत्वावधान में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के खैरताबाद स्थित सम्मेलन कक्ष में संपन्न सम्मान समारोह में प्रथम साहित्य मंथन सृजन पुरस्कारग्रहण करते हुए प्रकट किए | यह पुरस्कार उन्हें वर्ष 2013 में प्रकाशित उनकी कथाकृति साक्षी है पीपलपर प्रदान किया गया | 

समारोह में उपस्थित सभी साहित्यप्रेमी उस समय अभिभूत हो उठे जब डॉ. यालाम ने अपने वक्तव्य का समापन करते हुए कहा कि ‘मैं अपने हृदय की पूरी श्रद्धा के साथ यह पुरस्कार शिरोधार्य करते हुए पूर्ण पवित्रता का अनुभव कर रही हूँ |’ आज जब साहित्यिक पुरस्कारों को लेकर पुरस्कारदाता संस्था और पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं के मन में केवल लेन-देन की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है वहाँ जोराम यालाम नाबाम द्वारा पुरस्कार की स्वीकृति का यह भाव एक नई आश्वस्ति को जन्म देता है | 

उल्लेखनीय है कि साहित्य मंथन सृजन पुरस्कारका प्रवर्तन पं. चतुर्देव शास्त्री की स्मृति में इसी वर्ष किया गया है. संस्था की अध्यक्ष डॉ. पूर्णिमा शर्मा ने बताया कि यह पुरस्कार प्रति वर्ष साहित्य, समाजविज्ञान और संस्कृति संबंधी प्रकाशित कृति पर एक-एक वर्ष के क्रम में प्रदान किया जाएगा | पुरस्कार के अंतर्गत 11,000 रुपए की सम्मान राशि, प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिह्न, शाल, श्रीफल और लेखन सामग्री सम्मिलित हैं |

डॉ. यालाम को पुरस्कार प्रदान करते हुए नानीलुके प्रवर्तक और साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत प्रतिष्ठित तेलुगु कवि प्रो. एन. गोपि ने कहा कि यह मात्र डॉ. यालाम का ही सम्मान नहीं बल्कि पूर्वोत्तर की हिंदी रचनाशीलता का सम्मान है | उन्होंने ध्यान दिलाया कि हिंदी ही भारत को अखंड बनाने वाली भाषा है | यालाम की कहानियों में मुखरित स्त्री वेदना को उन्होंने अरुणाचल प्रदेश के जनजातीय परिवेश का सच बताया |

विश्वप्रसिद्ध कला संग्राहक पद्मश्री जगदीश मित्तल ने दीप प्रज्वलन करके कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन करते हुए कहा कि डॉ. यालाम को सम्मानित कर साहित्य मंथनने एक अनूठी पहल की है. यह सिलसिला बना रहना चाहिए |

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय से पधारे प्रो. देवराज ने अपने वक्तव्य में अरुणाचल सहित समस्त पूर्वोत्तर भारत की सांस्कृतिक विरासत और पौराणिक कथाओं का उल्लेख करते हुए आह्वान किया कि उस समस्त अलिखित संपदा को हिंदी के माध्यम से देश और दुनिया के सामने लाया जाना चाहिए | इस दिशा में पुरस्कृत लेखिका के प्रयासों की उन्होंने मुक्त कंठ से सराहना की |

समारोह की अध्यक्षता करते हुए अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. एम. वेकटेश्वर ने कहा कि अरुणाचल में जीवन को रोज एक नई चुनौती का सामना करना पड़ता है | ऐसे में वहाँ की स्त्रियाँ अपने अदम्य साहस के बल पर विषम परिस्थितियों से दो-दो हाथ करती हैं तथा डॉ. यालाम के कहानी सग्रह साक्षी है पीपलमें अरुणाचल की जनजातियों की इसी स्त्री का दर्द अभिव्यक्त हुआ है |

इस अवसर पर अरुणाचल प्रदेश के पौराणिक आख्यानों पर आधारित डॉ. जोराम यालाम नाबाम की हिंदी पुस्तक तानी मोमेन’ (पुरखों की लीलास्थली) के विवेक नाबाम द्वारा किए गए अंग्रेजी अनुवाद को भी डॉ. एम. वेंकटेश्वर ने लोकार्पित किया |

इस अवसर पर संपत देवी मुरारका, मदन देवी पोकरणा, विनीता शर्मा, देवेन्द्र शर्मा, पवित्रा अग्रवाल, लक्ष्मीनारायण अग्रवाल, आशीष नैथानी, ज्योति नारायण तथा हैदराबाद के समस्त लब्ध प्रतिष्ठित गणमान्य उपस्थित थें | समारोह का संचालन डॉ. जी. नीरजा ने किया तथा साहित्य मंथनके संस्थापक डॉ. ऋषभदेव शर्मा ने आभार प्रकट किया | 

प्रस्तुति : डॉ. गुर्रमकोंडा नीरजा
प्रस्तुत कर्त्ता: संपत देवी मुरारका
संपत देवी मुरारका
अध्यक्ष, विश्व वात्सल्य मंच
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद

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