गुरुवार, 4 सितंबर 2014

ज्योति नारायण की काव्यकृति ‘शब्द ज्योति’ लोकार्पित




ज्योति नारायण की काव्यकृति ‘शब्द ज्योति’ लोकार्पित

ऑथर्स गिल्ड ऑफ इण्डिया, हैदराबाद चैप्टर, कादम्बिनी क्लब, सांझ के साथी एवं साहित्य मंथन, हैदराबाद के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार 30 अगस्त 2014 को दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, खैरताबाद स्थित सभागार में प्रतिष्ठित कवयित्री ज्योति नारायण के पांचवें काव्य संग्रह ‘शब्द ज्योति’ का लोकार्पण संपन्न हुआ |

इस अवसर पर गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. एम. वेंकटेश्वर ने की | उपेन्द्र कुमार जी, दिल्ली से पधारे कवि-समीक्षक, मुख्य अतिथि, डॉ.अहिल्या मिश्र, डॉ. टी. मोहन सिंह, विशेष अतिथि, प्रो. ऋषभदेव शर्मा, विभागाध्यक्ष उच्च शिक्षा शोध संस्थान, द.भा.हि.प्र.सभा, खैरताबाद एवं ज्योति नारायण मंचासीन हुए | कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से हुआ |

आरम्भ में प्रो. बाल कृष्ण शर्मा रोहिताश्व ने मुख्य अतिथि का परिचय दिया और आयोजकों ने आगंतुकों का स्वागत-सत्कार किया | नगरद्वय के साहित्यिकों की ओर से कवयित्री ज्योति नारायण का सारस्वत सम्मान भी किया गया |

श्री उपेन्द्र कुमार जी के करकमलों द्वारा प्रतिष्ठित कवयित्री ज्योति नारायण के पांचवें काव्यसंग्रह ''शब्द ज्योति'' का लोकार्पण संपन्न हुआ | उन्होंने कहा कि इस संग्रह की कविताओं में मुख्य अर्थ के स्थान पर विस्थापित अर्थ के अधिक महत्वपूर्ण होने के कारण ये रचनाएँ विशेष रूप से ध्यान खींचती हैं | उन्होंने आगे कहा कि ज्योति नारायण की ये कविताएँ उनकी रचनायात्रा की प्रगति की सूचक हैं | ज्योति नारायण समकालीन हिन्दी कविता की एक सुपरिचित हस्ताक्षर हैं |

विमोचित कृति की समीक्षा करते हुए प्रो. ऋषभ देव शर्मा ने कहा कि इस पुस्तक में मुख्य रूप से प्रकृति के माध्यम से स्त्री विमर्श को उभारा गया है तथा समकालीन सामाजिक-राजनैतिक सरोकारों पर भी मार्मिक व्यंग्य किया गया है जो कवयित्री की गीति-रचनाओं से नितांत भिन्न प्रतीत होता है | साथ ही डॉ. अहिल्या मिश्र और प्रो. टी. मोहन सिंह ने रचनाकार को शुभकामनाएं दीं तथा भविष्य में श्रेष्ठतर रचनाधर्मिता की अपेक्षा जताई |

समारोह की अध्यक्षता कर रहे प्रो. एम.वेंकटेश्वर ने विस्तार से कवयित्री के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए अपने संबोधन में यह बताया कि 'शब्द ज्योति' में संग्रहीत कविताएँ संवेदना और शिल्प दोनों के स्तर पर प्रौढ़ तथा परिपक्व रचनाएँ हैं | उन्होंने मातृत्व, कन्या भ्रूण ह्त्या और साम्प्रदायिक संबंधों पर केंद्रित कविताओं का विवेचन करते हुए कहा कि कवयित्री का रचना-संसार उनकी पिछली कृतियों की तुलना में प्रशस्त और विस्तृत हुआ है | कवयित्री ज्योति नारायण ने अपनी प्रतिनिधि रचनाओं का पाठ किया |

इस अवसर पर संपत देवी मुरारका, मदनदेवी पोकरणा, विनीता शर्मा, आशीष नैथानी, नरेंद्र राय, वेणुगोपाल भट्टड़, भंवरलाल उपाध्याय, लक्ष्मीनारायण अग्रवाल, पवित्रा अग्रवाल एवं नगरद्वय के कई साहित्यकार उपस्थित थे | प्रेम शंकर नारायण तथा डॉ. गोरख नाथ तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापित किया |

संपत देवी मुरारका
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद

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