बुधवार, 20 अगस्त 2014

कादम्बिनी क्लब की गोष्ठी व पुष्पक कोकार्पण संपन्न





कादम्बिनी क्लब की गोष्ठी व पुष्पक कोकार्पण संपन्न

कादम्बिनी क्लब हैदराबाद के तत्वावधान में रविवार दि.17 अगस्त को हिंदी प्रचार सभा नामपल्ली परिसर में क्लब की 264वीं मासिक गोष्ठी एवं क्लब प्रकाशन पुष्पक -26 का लोकार्पण संपन्न हुआ |
     क्लब अध्यक्ष डॉ.अहिल्या मिश्र एवं कार्यकारी संयोजिका मीना मूथा ने प्रेस विज्ञप्ति में आगे बताया कि इस अवसर पर गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ.ऋषभदेव शर्मा विभागाध्यक्ष, उच्च शिक्षा शोध संस्थान, द.भा.हि.प्र. सभा, हैदराबाद ने की | डॉ.एस कृष्णबाबू विशाखापट्टनम से पधारे साहित्यकार एवं प्रो.वरदराज सुरेश कुमार अंग्रेजी विभागाध्यक्ष उस्मानिया विश्वविद्यालय क्रमश: मुख्य अतिथि, विशेष अतिथि के रूप में तथा डॉ.मदन देवी पोकरणा, डॉ.अहिल्या मिश्र मंचासीन हुए | ज्योति नारायण ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की | मीना मूथा ने उपस्थित सभा का स्वागत किया | डॉ.मिश्र ने मंचासीन अतिथियों का परिचय तथा क्लब की संक्षिप्त जानकारी रखीं |
      डॉ.मदन देवी पोकरणा ने पुष्पक-26 की जानकारी देते हुए कहा कि 104 पृष्ठ की इस पत्रिका में स्थानीय रचनाकारों के साथ-साथ विभिन्न प्रदेशों के साहित्यकारों का समावेश दिखाई पड़ता है | लघुकथा, कहानी, लेख, समीक्षा, संस्मरण, गीत, कविता, गजल, मुक्तक, हायकू, निबंध, दिहे, हास्यव्यंग, अध्यात्म, क्लब रिपोर्ट, विभिन्न कार्यक्रमों की झलकियाँ आदि का समावेश से पत्रिका निश्चित ही पठनीय-संग्रहनीय बनी है | संपादकीय हमेशा की तरह विचारों को चालना प्रदान करता है | पत्रिका को साधुवाद | तत्पश्चात तालियों की गूंज में डॉ.ऋषभदेव शर्मा के करकमलों से पुष्पक-26 का लोकार्पण हुआ | डॉ. शर्मा ने अपने व्यक्तव्य में कहा कि पुष्पक अब चुनिंदा सामग्री एवं प्रकाशन में निरंतरता के कारण स्तरीय पत्रिका में गिनी जा रही है | संभव हो तो रचनाकार जिस प्रदेश में शहर में रहता है वहां की संस्कृति से पाठकों को परिचित कराएं | संपादन मंडल को बधाई | क्लब की ओर से डॉ.कृष्णबाबू का शाल-माला से सम्मान किया गया | उन्होंने विविध शहरों में भ्रमण के दौरान उन्हें हिंदी के आये रोचक अनुभवों को सुनाते हुए कहा कि हैदराबाद शहर में जैसा साहित्यिक वातावरण है वैसा विशाखापट्टनम में नहीं है | नाट्य विधा में लेखन हो और उसका मंचन करे जिससे कि संदेश को प्रेषित किया जा सके | प्रो.सुरेश कुमार ने पुरानी यादों को सुनाते हुए कहा कि उस समय हिंदी में बोलने पर डांट पड़ती थी, आज जो भी हिंदी बोल रहा हूँ शायद और बेहतर हिंदी बोल पाता | प्रथम सत्र का संचालन मीना मूथा ने किया| |
     द्वितीय सत्र में भंवरलाल उपाध्याय के संचालन में कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ | इसमें भावना पुरोहित, संपत देवी मुरारका, एल रंजना, दर्शन सिंह, प्रमोदकुमार पयासी, विनीता शर्मा, पवित्रा अग्रवाल, डॉ.रमा द्विवेदी, आशीष नैथानी, डॉ.सीता मिश्र, ज्योति नारायण, गुरुदयाल अग्रवाल, विजय विशाल, संतोष कुमार ‘रजा’, सुनील गौड़, सरिता सुराणा जैन, डॉ.अहिल्या मिश्र, लक्ष्मीनारायण अग्रवाल, वरदराज सुनील कुमार, मीना मूथा ने काव्य पाठ किया | डॉ.ऋषभदेव ने अध्यक्षीय काव्यपाठ किया | डॉ.देवेन्द्र शर्मा, प्रवीण, रमेश तिवारी, सूरजप्रसाद सोनी, पल्लव पांडे, उत्तेज कुमार आदि की भी उपस्थिति रही | डॉ.रमा ने क्लब सदस्यों को उनके जन्म-विवाह दिन की बधाई दी | मीना मूथा के आभार के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ |

संपत देवी मुरारका
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें