कादम्बिनी
क्लब की गोष्ठी आयोजित
कादम्बिनी
क्लब की गोष्ठी आयोजित
कादम्बिनी
क्लब हैदराबाद के तत्वावधान में रविवार दि.17 जून
को हिन्दी प्रचार सभा परिसर में क्लब की 238 वीं
मासिक गोष्ठी का सफल आयोजन सम्पन्न हुआ|
क्लब
संयोजिका डॉ. अहिल्या मिश्र एवं कार्यकारी संयोजिका मीना मूथा ने संयुक्त प्रेस
विज्ञप्ति में बताया की इस अवसर पर प्रथम सत्र की अध्यक्षता जज महोदया श्रीमती
वी.वरलक्ष्मी ने की | श्री जी.परमेश्वर (मुख्य अतिथि), डॉ. अहिल्या मिश्र (क्लब
संयोजिका) मंचासीन हुए | डॉ. रमा द्विवेदी द्वारा सुमधुर सरस्वती वंदना प्रस्तुति
से कार्यक्रम का आरंभ हुआ | मीना मूथा ने उपस्थित सभा का स्वागत किया | श्री
ओमप्रकाश शर्मा के संपादकत्व में दिल्ली से प्रकाशित मासिक पत्रिका “युगसेतु” पर अपने विचार रखते हुए डॉ. मदन देवी
पोकरणा ने कहा कि पत्रिका के रंगीन-मनमोहक मुखपृष्ठ ने इंडिया टुडे, धर्मयुग,
दिनमान, साप्ताहिक हिन्दुस्तान आदि पत्रिकाओं की याद दिला दी | 52 पृष्ठीय पत्रिका में विभिन्न विचार,
दृष्टिकोण, स्वास्थ्य संबंधी लेख आदि का समावेश उसे पठनीय बनाता है | चित्रा
मुदगल, उपेंद्र अश्क, रामवृक्ष बेनी पूरी, डॉ. बाछोतिया, अवधेश कुमार, मृदुला
सिन्हा आदि साहित्यकारों का योगदान इसे स्तरीय बनाने में सफल रहा है | सौंदर्य और
धर्म पत्रिका के विषय हैं | सौंदर्य को शाश्वत अखंड मान गया है | विषयों को
केंद्रित करते हुए लेख और संपादकीय प्रभावी बन पड़े हैं | श्री लक्ष्मीनारायण
अग्रवाल ने अपने विचारों को रखते हुए कहा कि “युगसेतु” के पन्ने पलटकर उसे रख नहीं सकते,
क्योंकि इसमें गंभीर लेखन है | धर्म और सौंदर्य दोनों ही विषयों को परिभाषित नहीं
कर सकते | दोनों ही अनुभव, चिंतन की चीजें हैं | जो अप्रत्यक्ष है उसे परिभाषित
करना दुरूह कार्य है | पत्रिका को केवल एक वर्ष ही हुआ है, यह बहुत लंबी यात्रा न
होते हुए भी छोटी भी नहीं है | लंबे संपादकीय में सारे पक्ष कवर हो जाते हैं
परन्तु विषय से भटकने का खतरा भी होना है | संपादकीय में जरा भी भटकाव आ जाए तो वह
प्रभावहीन हो जाता है | सौंदर्य की सबसे बड़ी उपयोगिता यह है कि वह हमारे अंदर
पॉजिटिविटी को बढ़ाता है, मानवीयता को बढ़ाता है | सौंदर्य जीवन का मूल्य है |
चित्रा मुदगल की कहानी सशक्त कहानी है | घटनाएँ अपने आप कहानी को बयां करती है |
जो ज्ञान-दर्शन मानवीयता को बधावे वही धर्म है | ओशो का चिंतन व्यावहारिक है |
मानव के मनोविज्ञान से वह जुड़ा है | मानवजीवन विज्ञान से कम और मनोविज्ञान से
ज्यादा प्रभावित होता है | अनुभूति मनोविज्ञान का बहुत बड़ा हिस्सा है | पत्रिका
निश्चित ही पठनीय संग्रहणीय है |
डॉ.
अहिल्या मिश्र ने कहा कि पत्रिकाएँ तो बहुत निकलती है, कुछ बंद भी हो जाती है
परन्तु “युगसेतु” लीक से हटकर अपना एक चेहरा हमारे सामने
रख रहा है | 1927 की “वीणा” पत्रिका और इसमें मुझे साम्य दिखाई दिया
| 5. भारत में इस पत्रिका ने विगत एक वर्ष में
अपना वर्चस्व बनाया | दर्जेदार साहित्य ने इसे अल्प समय में स्तरीय बना दिया है |
जी.परमेश्वर ने कहा कि चारु चन्द्र की चंचल .....पंक्तियाँ प्रकृति में निहित
सौंदर्य की अनुभूति कराती है वैसे ही जीवन में आनंद और सकारात्मकता को भर देती है
| कर्म श्रम है परन्तु वही सबकुछ नहीं है | मेहनत के सामने आकाश झुक जाता है, श्रम
और समय दोनों साथ-साथ चलते हैं | जापान आज उद्योगशील देश इसलिए बना क्योंकि
उन्होंने समय की कीमत को जाना | पत्रिका मुखपृष्ठ प्रेरणा व संदेश के वाहक बन पड़े
हैं | वी. वरलक्ष्मी ने अध्यक्षीय बात में कहा कि हर मजहब ने धर्म को अलग-अलग
नजरिये से देखा परन्तु संदेश प्रेम-मानवता-बंधुत्व का ही दिया | साहित्य एक जरिया
है जो हमारे संस्कारों को पुख्ता बनाता है |
तत्पश्चात
श्री गुरुदयाल अग्रवाल की अध्यक्षता एवं गोविंद मिश्र, विनय कुमार झा के आतिथ्य
में तथा लक्ष्मीनारायण अग्रवाल के सफल संचालन में कविगोष्ठी का आयोजन हुआ | इसमें
सूरज प्रसाद सोनी, मुकुंददास डांगर, गौतम दीवाना, डॉ.रमा द्विवेदी, डॉ.सीता मिश्र,
पवित्रा अग्रवाल, सुरेश गंगाखेडकर, मीना मूथा, जी.परमेश्वर, भावना पुरोहित, संपत
देवी मुरारका, सरिता सुराणा जैन, जुगल बंग जुगल, भँवरलाल उपाध्याय, सत्यनारायण
काकड़ा, डॉ.अहिल्या मिश्र, वी.वरलक्ष्मी, गोविंद मिश्र, विनय कुमार झा, एस.नारायण
राव ने भाग लिया | श्री गुरुदयाल अग्रवाल ने अध्यक्षीय काव्यपाठ किया | श्री
भूपेंद्र ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई | डॉ.रमा द्विवेदी ने क्लब सदस्यों को उनके
जन्मदिन, विवाह दिन की बधाई दीं | सरिता सुराणा जैन के धन्यवाद के साथ गोष्ठी का
समापन हुआ |
संपत देवी मुरारका
हैदराबाद
"yug setoo" patrika ke safal sanchan ke liye badhai aur anant shubhkamnae.kadamni club ghosti ki safalta ke liye badhaiyan
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