नागरी लिपि सम्मेलन में चौदह देशों के विद्वानों ने की सहभागिता विभिन्न भाषाओं को जोड़ती है नागरी लिपि : गंगाप्रसाद उप्रेती
नारनौल। नागरी लिपि विश्व की सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक लिपि तो है ही, यह विभिन्न भाषाओं को भी आपस में जोड़ती है। यह कहना है नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान, काठमांडू के कुलपति गंगाप्रसाद उप्रेती का। मनुमुक्त 'मानव' मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा गत शाम आयोजित 'अंतरराष्ट्रीय ई- नागरी लिपि सम्मेलन' में बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने कहा कि संस्कृत, हिंदी, नेपाली, मैथिली, मराठी, भोजपुरी आदि अनेक भाषाओं को देवनागरी लिपि एकता के सूत्र में पिरो देती है, जिससे इन्हें समझना सरल हो जाता है। हिंदी साहित्य अकादमी, मोका (मॉरीशस) के अध्यक्ष डॉ हेमराज सुंदर और हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन, एम्स्टर्डम (नीदरलैंड) की अध्यक्ष डॉ पुष्पिता अवस्थी ने नागरी को विश्वलिपि बताते हुए कहा कि देवनागरी भारत की अनेक भाषाओं और बोलियों की ही लिपि नहीं है, बल्कि नेपाली (नेपाल), (फीजीबात) फीजी और सरनामी (सूरीनाम) आदि भाषाओं की भी लिपि है तथा अनेक देशों में बसे करोड़ों प्रवासी भारतीय और भारतवंशी विभिन्न भाषाओं को इसके माध्यम से लिख और पढ़ रहे हैं। नागरी लिपि परिषद्, नई दिल्ली के अध्यक्ष और पूर्व कुलपति डॉ प्रेमचंद पतंजलि ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि नागरी लिपि विभिन्न बोलियों के लिए ही नहीं, तमाम भारतीय भाषाओं के लिए भी नागरी उपयोगी लिपि सिद्ध हो सकती है। उन्होंने आश्वस्त किया कि इंटरनेट आदि साधनों के माध्यम से भी नागरी लिपि को प्रतिष्ठित करने का प्रयास किया जाएगा।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद्, नारनौल के अध्यक्ष डॉ जितेंद्र भारद्वाज द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना-गीत के उपरांत चीफट्रस्टी डॉ रामनिवास 'मानव' के प्रेरक सान्निध्य तथा डॉ पंकज गौड़ के कुशल संचालन में संपन्न हुए इस सम्मेलन में कोलम्बो (श्रीलंका) के डॉ लक्ष्मण सेनेविराठने, ऑकलैंड (न्यूजीलैंड) के रोहितकुमार 'हैप्पी', कोलोन (जर्मनी) की डॉ शिप्रा शिल्पी, पालम (दिल्ली) के डॉ हरिसिंह पाल और अहमदनगर (महाराष्ट्र) के डॉ शहाबुद्दीन शेख ने विशिष्ट अतिथि वक्ता के रूप में सहभागिता की तथा नागरी लिपि के स्वरूप, विकास, महत्त्व और प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हमें हिंदी को जनभाषा बनाने से पूर्व मनभाषा बनाना पड़ेगा, क्योंकि हिंदी जब मनभाषा बनेगी, तो उसकी लिपि देवनागरी स्वत: ही प्रतिष्ठित हो जाएगी। समारोह के प्रारंभ में चीफट्रस्टी डॉ रामनिवास 'मानव' ने, विषय-प्रवर्तन करते हुए, नागरी लिपि को कंप्यूटर के उपयुक्त बनाने तथा वर्तनी संबंधी त्रुटियों को दूर करने का आह्वान किया। उन्होंने नागरी लिपि केंद्रित अपने कुछ दोहे भी प्रस्तुत किए।
केंद्रीय हिंदी निदेशालय, नई दिल्ली के सहायक निदेशक डॉ दीपक पांडेय की अध्यक्षता और सिंघानिया विश्वविद्यालय, पचेरी बड़ी (राजस्थान) के कुलपति डॉ उमाशंकर यादव के मुख्य आतिथ्य में 'कविता-कुंभ' के रूप में संपन्न हुए द्वितीय सत्र में सोफिया विश्वविद्यालय, सोफिया (बल्गारिया) की प्रोफेसर डॉ मोना कौशिक और हिंदी राइटर्स गिल्ड, टोरंटो (कनाडा) की निदेशक डॉ शैलजा सक्सेना विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। इस अवसर पर लैडिंग (सूरीनाम) के तेजप्रताप खेदू, मनीला (फिलीपींस) की प्रिया शुक्ला, मनामा (बहरीन) की अनुपम रमेश, कंपाला (युगांडा) के बसंत भंभेरू, सेंटियागो (अमरीका) की डॉ कमला सिंह, कोलंबो (श्रीलंका) की डॉ अमिला दमयंती, गुवाहाटी (असम) की दीपिका सुतोदिया, गंगटोक (सिक्किम) के डॉ प्रदीप त्रिपाठी आदि विश्व-भर के अनेक प्रतिष्ठित कवियों-कवयित्रियों ने काव्य-पाठ किया।
ये रहे उपस्थित : पांच घंटों तक चले इस अद्भुत एवं ऐतिहासिक सम्मेलन में ट्रस्टी डॉ कांता भारती, विश्वबैंक वाशिंगटन डीसी (अमरीका) की अर्थशास्त्री डॉ एस अनुकृति और कंसलटेंट प्रो सिद्धार्थ रामलिंगम, त्रिभुवन विश्वविद्यालय, झोटा बजांग (नेपाल) में अंग्रेजी-विभाग के अध्यक्ष प्रो खगेंद्रनाथ बियोगी, महात्मा गांधी हिंदी संस्थान, मौका (मॉरीशस) में सृजनात्मक लेखन एवं प्रकाशन विभाग के अध्यक्ष डॉ कृष्णकुमार झा, हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय, महेंद्रगढ़ में विधि-विभाग के अध्यक्ष डॉ प्रदीप सिंह, चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय, भिवानी में हिंदी-विभाग की प्रोफेसर डॉ सुशीला आर्य, हरियाणा साहित्य अकादमी, पंचकूला के पूर्व निदेशक डॉ पूर्णमल गौड़, नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान, काठमांडू की पत्रिका 'वर्तमान साहित्य' के संपादक डॉ पुष्करराज भट्ट, लखनऊ (उत्तर प्रदेश) के प्रतिष्ठित साप्ताहिक 'विश्व-विधायक' के संपादक मृत्युंजयप्रसाद गुप्ता आदि के अतिरिक्त अमलनेर (महाराष्ट्र) के डॉ सुरेश माहेश्वरी, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) की डॉ ऋतु माथुर इंदौर (मध्य प्रदेश) की अलका जैन, हिसार के डॉ राजेश शर्मा, भिवानी के विकास कायत, नारनौल के कृष्णकुमार शर्मा, एडवोकेट तथा डॉ प्रेम सिंह, डॉ ज्योति कुमारी, डॉ दिनेशकुमार यादव, दामोदर पटेल, श्रवण उपाध्याय, वंदना कुशवाहा, टीकाराम अहिरवार, डॉ संध्या शर्मा, कमल चौरसिया, आरती झा, रामचंद्र केदार, गोकुलेश्वर द्विवेदी, शशिकला त्रिपाठी, शशिकांत सोनवणे, राममोहन तिवारी, काजल विश्वकर्मा, पल्लवी पाटिल, नमिता सिंह आदि महानुभावों की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही।त्रिपुरा विश्वविद्यालय द्वारा “हिन्दी शब्दावली और भाषा की सरलता” विषय पर एक ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजनदिनांक 25.03.2021 (गुरुवार) को अपराह्न 03.30 बजे किया जा रहा है। इस कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप मेंपूर्वोत्तर के प्रख्यात हिन्दी विद्वान डॉ. बरुण कुमार, निदेशक, केन्द्रीय हिन्दी प्रशिक्षण संस्थान, गृहमंत्रालय भारत सरकार रहेंगे।प्रो. गंगाप्रासद प्रसाईं, कुलपति कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे।सभी इच्छुक सदस्यों से निवेदन है कि इस कार्यशाला में शामिल हो राजभाषा हिंदी के संबंध में नवीन जानकारी प्राप्त करें।
https://meet.google.com/hbt-qcdm-oem शहीद भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु के शहादत दिवस के उपलक्ष्य मेंसाहित्य अकादमी मध्य प्रदेश के उपक्रम पाठक मंच, इंदौर इकाई एवं मातृभाषा उन्नयन संस्थान के साझा प्रयासों से गौतमपुरा मेंकाव्यांजलि कवि सम्मेलन का आयोजन
इंदौर। शहीद भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु के शहादत दिवस के उपलक्ष्य में साहित्य अकादमी मध्य प्रदेश के उपक्रम पाठक मंच, इंदौर इकाई एवं मातृभाषा उन्नयन संस्थान के साझा प्रयासों से गौतमपुरा में आज़ादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत काव्यांजलि कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें मुख्य अतिथि नगर परिषद गौतमपुरा के अध्यक्ष चैतन्य भावसार व मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' रहे।
सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया तत्पश्चात अतिथि स्वागत में गर्मियों के मद्देनज़र अतिथियों एवं कवियों को मिट्टी के सकोरे दिए गए ताकि पक्षियों के लिए इसमें पानी रखा जा सके।
कवि सम्मेलन में प्रथम कवि गौतमपुरा के गोपाल माली रहे, जिन्होंने माँ पर कविता पाठ करते गए नेताजी सुभाष चंद बोस के बारे में कविता पढ़ी और कहा कि 'हमारे दिल की धड़कन में आज भी नेताजी सुभाष ज़िन्दा हैं।' इनके बाद गौतमपुरा के ही धीरज पाटीदार ने काव्य पाठ किया, उनकी कविता 'एक ओर माँ का आँचल, एक ओर क्रांतिकारियों के सर हो गए' ने ख़ूब तालीयाँ बटोरी। इसके बाद कवि धीरज ने बच्चों से आह्वान किया कि '24 घंटे में से केवल 52 सेकण्ड राष्ट्रगान के नाम कीजिए।'
कवि सम्मेलन को ऊर्जा प्रदान करते हुए इंदौर के गीतकार गौरव साक्षी ने कुछ मुक्तक सुनाए, इसके बाद हिन्द की सेना जैसे सवैया छन्द सुनाए, इसके बाद विशेष माँग पर उनका हस्ताक्षरीय शिव गीत सुनाया गया जिसमें गौरव लिखते हैंकि 'सिर्फ़ शंभु ही स्वयम्भू है जहाँ में, हर किसी का कोई न कोई जनक है। आदि के आदि से है अस्तित्व में शिव, और शिव ही अंत के भी अंत तक हैं।' इनके बाद उक्त कवि सम्मेलन में झाबुआ से आए कवि हिमांशु भावसार हिन्द ने काव्य पाठ किया और शहीदों पर लिखे मुक्तक और गीतों से समा बांध दिया। उन्होंने शब्द की अधिष्ठात्री का आह्वान करते हुए पढ़ा कि 'हर बालक हो महाकाल-सा, बेटी स्वयं भवानी हो।'
कवि सम्मेलन का शिखर कलश संचालक और गौतमपुरा के वरिष्ठ कवि पंकज प्रजापत ने रखते हुए सैनिक की शहादत के बाद उसके बेटे के प्रथम जन्मदिन की व्यथा सुनाते हुए पढ़ा कि 'सोचा था केक चॉकलेट और गुब्बारे लाओगे। बाजार से मेरी पसंद के खिलोने सारे लाओगे, पर आप अपनी पसंद का उपहार चंगा ले आये, और मेरे पहले ही जन्मदिन पर तिरंगा ले आये।'
इस वर्ष साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश द्वारा स्वतंत्रता दिवस की हीरक जयंती वर्ष पर आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, जिसमें अकादमी के सभी पाठक मंच आयोजन कर शहीदों को याद कर रहे हैं। इसी तारतम्य में पाठक मंच, जिला इंदौर इकाई ने भी मातृभाषा उन्नयन संस्थान के साथ मिलकर काव्य अनुष्ठान किया।
ज्ञात हो कि मातृभाषा उन्नयन संस्थान का ध्येय हिन्दी का प्रचार-प्रसार कर राष्ट्र जागरण करना है और मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी भी इसी लक्ष्य के साथ आगे बढ़ी है। इस तरह के आयोजनों से नई पीढ़ी का अपने शहीदों के प्रति आदर भाव भी अभिव्यक्त हुआ। विद्यालय के बच्चों के बीच हुए इस काव्य अनुष्ठान का ध्येय बच्चों में संस्कृति के प्रति आदरभाव का बीजारोपण रहा।
वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुंबई
वैश्विक हिंदी सम्मेलन की वैबसाइट -www.vhindi.in
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संपर्क - vaishwikhindisammelan@gmail.
प्रस्तुत
कर्ता : संपत देवी मुरारका, विश्व वात्सल्य मंच
murarkasampatdevii@gmail.com
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
मो.: 09703982136