मंगलवार, 19 सितंबर 2017

प्राथमिक शिक्षा की भाषा बच्चों को स्वयं चुनने दें, कोई भाषा न थोपें: प्रकाश जावड़ेकर


हिंग्रेजी अखबार से बातचीत में मंत्री उवाच 
परन्तु अंग्रेजी अनिवार्य बनी रहेगी.


एचआरडी मिनिस्टर प्रकाश जावड़ेकर का कहना है कि मोदी सरकार ने अपने तीन साल के कार्यकाल में लोगों का भरोसा जीता है। उनका मंत्रालय 'सबको शिक्षा और अच्छी शिक्षा' देने की दिशा में काम कर रहा है। मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने पर जावड़ेकर से बात की पूनम पाण्डे ने :
सवाल: सरकार की तीन साल की मुख्य क्या उपलब्धि है?
जवाब: सरकार ने लोगों का भरोसा जीता है। आम तौर पर सरकार के तीन साल होने पर एंटी इनकंबेंसी हावी होने लगती है, लेकिन मोदी सरकार में लोगों का भरोसा लगातार बढ़ा है। यूपीए सरकार में इकॉनमिस्ट पीएम होने के बावजूद महंगाई बेलगाम थी, लेकिन मोदी सरकार ने महंगाई पर लगाम लगाई है। हमने साबित किया है कि यह सरकार गांव, गरीब, किसान और मजदूर की सरकार है।
सवाल: क्या वजह है कि आपकी मिनिस्ट्री अब तक नई नैशनल एजुकेशन पॉलिसी नहीं ला पाई?
जवाब: जल्द ही हम पॉलिसी ड्राफ्ट करने के लिए कमिटी का ऐलान कर देंगे। इस साल के अंत तक नई एजुकेशन पॉलिसी आ जाएगी।
सवाल : एजुकेशन पॉलिसी में किस पर फोकस रहेगा?

जवाब: हम एजुकेशनिस्ट की कमिटी को पूरी स्वतंत्रता देंगे कि वह 2-3 दशकों के हिसाब से मीनिंगफुल एजुकेशन के लिए पॉलिसी ड्राफ्ट तैयार करें। एजुकेशन के जरिएस्किल डिवेलपमेंट होना चाहिए, साथ ही मानवीय मूल्य भी निखरने चाहिए। एजुकेशन सबकी पहुंच में होनी चाहिए।
सवाल: स्मृति इरानी जब एचआरडी मिनिस्टर थीं उस वक्त वैदिक एजुकेशन बोर्ड बनाने पर विचार हो रहा था, उसका क्या हुआ?
जवाब: अभी ऐसा कोई प्रपोजल नहीं है।
सवाल: नैशनल ऐकेडमिक डिपॉजिटरी का क्या स्टेटस है?
जवाब: इस साल से सभी स्कूल बोर्ड, यूनिवर्सिटी अपनी डिग्री ऐकेडमिक डिपॉजिटरी में अपलोड करेंगे। नई डिग्री के साथ ही पुरानी डिग्री भी उसमें अपलोड की जाएंगी। डिग्री में अब स्टूडेंट का फोटो भी होगा, जिससे कोई दूसरा किसी और के नाम की डिग्री का गलत इस्तेमाल नहीं कर पाएगा।
सवाल: प्राइवेट स्कूलों में फीस बेलगाम बढ़ती जा रही है। पैरंट्स परेशान हैं। उस पर लगाम कैसे लगेगी?
जवाब: प्राइवेट स्कूल अगर नियमों के विरुद्ध कुछ करते हैं तो राज्य सरकारें उनके खिलाफ कदम उठा रही हैं। हमारा मकसद है कि सरकारी स्कूलों को इतना अच्छा बना दिया जाए कि पैरंट्स के पास सरकारी स्कूल में बच्चों को भेजने का विकल्प हो।
सवाल: क्या केवी में केजी क्लासेस शुरू करने की कोई योजना पर विचार चल रहा है?
जवाब: सिक्किम में ऐसा प्रयोग शुरू हुआ है। सिक्किम के सरकारी स्कूलों में केजी क्लास भी शुरू की गई है, जिससे पैरंट्स को केजी के लिए बच्चों को प्राइवेट स्कूल में ही भेजने की मजबूरी न हो। यह अच्छा प्रयोग है। हम देश के अलग अलग हिस्सों में शिक्षण मंथन कार्यक्रम कर रहे हैं।
सवाल: कई संगठनों की तरफ से मांग आई है कि प्राइमरी एजुकेशन मातृ भाषा में होनी चाहिए, संघ के कई संगठन भी यह मांग उठा चुके हैं?
जवाब: मैं ऐसा नहीं सोचता। किस भाषा में पढ़ना है यह बच्चे की चॉइस होनी चाहिए। उन पर कोई भाषा थोपनी नहीं चाहिए।
सवाल: रीजनल भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए क्या कदम उठा रही है मिनिस्ट्री?
जवाब: थ्री लैंग्वेज फॉर्मूला को सही से लागू कराया गया है। स्टूडेंट के पास 22 भारतीय भाषाएं और एक इंग्लिश यानी 23 भाषाओं में से तीन भाषा चुनने का विकल्प होता है। बीच में सीबीएसई ने काफी गड़बड़ कर दी थी। अगर किसी को इन 23 भाषाओं के अलावा कोई फॉरन लैंग्वेज पढ़नी है तो वह चौथी लैंग्वेज हो सकती है। थ्री लैंग्वेज में भारतीय भाषाएं और इंग्लिश में से ही कोई भाषा होगी।
सवाल: महिला और बाल विकास मंत्री ने सिंगल मदर्स की शिकायतों पर आपसे मांग की है कि डिग्री-सर्टिफिकेट्स में पिता का नाम लिखना जरूरी न हो और सिर्फ मां का नाम देने की इजाजत हो?
जवाब: इसमें कोई दिक्कत नहीं है। यह अच्छा सुझाव है। कोई मां का नाम देना चाहता है तो यह उसकी चॉइस है। मैं इसे सही मानता हूं।
सवाल: एजुकेशन सेक्टर के लिए अलग इंडियन एजुकेशन सर्विस बनाने की मांग कई संगठन कर चुके हैं। टीएसआर सुब्रमण्यम कमिटी की रिपोर्ट में भी यह कहा गया है?
जवाब : मुझे ऐसी अलग सर्विस की जरूरत नहीं लगती। सर्विस एक डिसिप्लिन है। इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस एक डिसिप्लिन है। एक सिस्टम तैयार होता है, माइंडको ऑर्गनाइज करते हैं, एक डिसिप्लिन में लाते हैं तो उससे काम कर सकते हैं। उसके लिए अलग सर्विस की जरूरत नहीं।

मेरा प्रश्न:

क्या बच्चे प्राथमिक शिक्षा की भाषा स्वयं चुन सकते हैं (सक्षम हैं)? और क्या उन पर अंग्रेजी भाषा थोपी नहीं जा रही है?

भवदीय,
प्रवीण जैन, मुंबई 

प्रस्तुत कर्ता : संपत देवी मुरारका, विश्व वात्सल्य मंच
murarkasampatdevii@gmail.com  
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
मो.: 09703982136

विश्ववाणी हिंदी और हम, संजीव वर्मा 'सलील'

संजीव वर्मा 'सलील'
विश्ववाणी हिंदी और हम
समाचार है कि विश्व की सर्वाधिक प्रभावशाली १२४ भाषाओं में हिंदी का दसवाँ स्थान है। हिंदी की आंचलिक बोलियों और उर्दू को मिलाने पर सूची में ११३ भाषाएँ यह स्थान आठवाँ होगा. भाषाओं की वैश्विक शक्ति का यह अनुमान इन्सीड(INSEAD) के प्रतिष्ठित फेलो डॉ. काई एल. चान (Dr. Kai L. Chan) द्वारा मई, २०१६ में तैयार किए गए पावर लैंग्वेज इन्डेक्स (Power Language Index) पर आधारित है।
इंडेक्स में हिंदी की कई लोकप्रिय बोलियों भोजपुरी, मगही, मारवाड़ी, दक्खिनी, ढूंढाड़ी, हरियाणवी आदि को अलग स्वतंत्र स्थान दिया गया है। वीकिपीडिया और एथनोलॉग द्वारा जारी भाषाओं की सूची में हिंदी को इसकी आंचलिक बोलियों से अलग दिखाने का भारत में भारी विरोध भी हुआ था।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार हिंदी को खंडित और कमतर करके देखे जाने का सिलसिला जानबूझ कर हिंदी को कमजोर दर्शाने का षड़यंत्र है। ऐसी साजिशें हिंदी की सेहत के लिए ठीक नहीं। डॉ. चैन की भाषा- तालिका के अनुसार, हिंदी में सभी आंचलिक बोलियों को शामिल करने पर प्रथम भाषा के रूप में हिंदी बोलनेवालों की संख्या उसे विश्व में दूसरा स्थान दिला सकती है। इंडेक्स में अंग्रेजी प्रथम स्थान पर है, जबकि अंग्रेजी को प्रथम भाषा के रूप में बोलने वालों का संख्या की दृष्टि से चौथा स्थान है।
पावर लैंग्वेज इंडेक्स में भाषाओं की प्रभावशीलता का क्रम निर्धारण भाषाओं के भौगोलिक, आर्थिक, संचार, मीडिया-ज्ञान तथा कूटनीतिक प्रभाव पाँच कारकों को ध्यान में रखकर किया गया है। इनमें भौगोलिक व आर्थिक प्रभावशीलता सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। हिंदी से उसकी आंचलिक बोलियों को निकालने पर इसका भौगोलिक क्षेत्र , भाषा को बोलने वाले देश, भूभाग और पर्यटकों के भाषायी व्यवहार के आंकड़ों में निश्चित तौर पर बहुत कमी आएगी। भौगोलिक कारक के आधार पर हिंदी को इस सूची में १० वाँ स्थान दिया गया है। डॉ. चैन के भाषायी गणना सूत्र के अनुसार हिंदी और उसकी सभी बोलियों के भाषा-भाषियों की विशाल संख्या के अनुसार गणना करने पर यह शीर्ष पांच में आ जाएगी ।
इन्डेक्स के दूसरे महत्वपूर्ण कारक आर्थिक प्रभावशीलता के अंतर्गत 'भाषा का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव' का अध्ययन कर हिंदी को १२ वां स्थान दिया गया है।
इस इन्डेक्स को तैयार करने का तीसरा कारक संचार (लोगों की बातचीत में संबंधित भाषा का उपयोग है। इंडेक्स का चौथा कारक मीडिया एवं ज्ञान के क्षेत्र में भाषा का इस्तेमाल है। इसमें भाषा की इंटरनेट पर उपलब्धता, फिल्मों, विश्वविद्यालयों में पढ़ाई, भाषा में अकादमिक शोध ग्रंथों की उपलब्धता के आधार पर गणना की गई है। इसमें हिंदी को द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ है।
विश्वविद्यालयों में हिंदी अध्ययन और हिंदी फिल्मों का इसमें महत्वपूर्ण योगदान है। हिंदी की लोकप्रियता में बॉलीवुड की विशेष योगदान है। इंटरनेट पर हिंदी सामग्री का अभी घोर अभाव है। इंटरनेट पर अंग्रेजी सामग्री की उपलब्धता ९५% तथा हिंदी की उपलब्धता मात्र ०.०४% है। इस दिशा में हिंदी को अभी लंबा रास्ता तय करना है। इस इन्डेक्स का पांचवा और अंतिम कारक है- कूटनीतिक स्तर पर भाषा का प्रयोग। इस सूची में कूटनीतिक स्तर पर केवल ९ भाषाओं (अंग्रेजी, मंदारिन, फ्रेच, स्पेनिश, अरबी, रूसी, जर्मन, जापानी और पुर्तगाली) को प्रभावशाली माना गया है। हिंदी सहित बाकी सभी १०४ भाषाओं को कूटनीतिक दृष्टि से एक समान १० वां स्थान यानी अत्यल्प प्रभावी कहा गया है। जब तक वैश्विक संस्थाओं में हिंदी को स्थान नहीं दिया जाएगा तब तक यह कूटनीति की दृष्टि से कम प्रभावशाली भाषाओं में ही रहेगी।
विश्व में अनेक स्तरों पर हिंदी को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। हिंदी को देश के भीतर हिंदी विरोधी ताकतों से तो नुकसान पहुंचाया ही जा रहा है, देश के बाहर भी तमाम साजिशें रची जा रही हैं। दुनिया भर में अंग्रेजी के अनेक रूप प्रचलित हैं, फिर भी इस इंडेक्स में उन सभी को एक ही रूप मानकर गणना की गई है। परन्तु हिंदी के साथ ऐसा नहीं किया गया है।
भारत में हिंदी की सहायक बोलियां एकजुट न हो अपना स्वतंत्र अस्तित्व तलाश कर हिंदी को कमजोर कर रही हैं. इस फूट का फायदा साम्राज्यवादी भाषा न उठ सकें इसके लिए हिंदी की बोलियों की आपसी लड़ाई को बंद कर सभी देशवासियों को हिंदी की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए निरंतर योगदान देना होगा।

प्रस्तुति: संजीव वर्मा 'सलील'

प्रस्तुत कर्ता : संपत देवी मुरारका, विश्व वात्सल्य मंच
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मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
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सोमवार, 18 सितंबर 2017

Prayas 47, Sept. 2017 released



अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मलेन, 15 सितम्बर, 2017

विलंब हेतु क्षमाप्रार्थी.

अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मलेन, 15 सितम्बर, 2017
स्थान - श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय नार्थ कैंपस,
 नयी दिल्ली, दिल्ली 110007
विषय: विश्व पटल पर हिंदी अध्यापन की चुनौतियाँ और संभावनाएं

सम्मेलन कार्यसूची-शुक्रवार 15 सितम्बर, 2017
         कार्यस्थल
गतिविधि
समय
प्राचार्य कार्यालय लॉबी
पंजीकरण
प्रातः 7 बजे से 10 बजे तक
गुरु अर्जुन देव सभागृह  
हिंदी शिक्षण कार्यशाला
संचालिका:  प्रोफेसर गैब्रिएला निक इलिवा, न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय
विषय: हिंदी शिक्षण रणनीति strategies of Hindi teaching
सुबह 9 बजे से 11 बजे

मुख्य सभागार
मुख्य सत्र:  11 बजे से 1 बजे
शुभारम्भ:
11.00 से 11.15
राष्ट्रीय गीत: भारत और यू एस ए
प्रोफसर चरणजीत सिंह द्वारा दीप प्रज्वलन की उद्घोषणा, मंच पर डॉ. यरलागड्डा, श्रीमती रीवा गांगुली दास, प्राचार्य जसविंदर सिंह, श्री अशोक ओझा का आगमन
सांस्कृतिक कार्यक्रम (कबीर भजन)
11.15 से 11.30 
प्रोफेसर चरणजीत सिंह द्वारा प्राचार्य जसविंदर सिंह और विभागाध्यक्ष डॉ आशा मेहता का परिचय
प्राचार्य जसविंदर सिंह द्वारा स्वागत सम्बोधन
डॉ आशा मेहता द्वारा सम्बोधन
11.30 से 11.45 
प्रोफसर चरणजीत सिंह द्वारा हिंदी संगम फॉउंडेशन के अध्यक्ष अशोक ओझा का परिचय देने के लिए यासीन अंसारी, सचिव, को आमंत्रण
यासीन अंसारी, सचिव, द्वारा अशोक ओझा का परिचय
सम्मलेन संयोजक अशोक ओझा द्वारा हिंदी संगम फॉउंडेशन की तरफ से मुख्य अतिथियों का सम्मान करने के लिए आमंत्रण:
अशोक ओझा द्वारा प्राचार्य जसविंदर सिंह को शाल अर्पण
श्री यासीन अंसारी, सचिव द्वारा प्रोफेसर आशा मेहता को शाल अर्पण
श्रीमती हेमा ओझा द्वारा श्रीमती रीवा गांगुली दस को शाल अर्पण
डॉ आशा मेहता द्वारा प्रोफेसर गैब्रिएला इलेवा को शाल अर्पण
प्रोफसर चरणजीत सिंह द्वारा डॉ. विनोद कुमार मिश्रा को शाल अर्पण
प्रोफसर बाबू राम  द्वारा डॉ. विजय दत्त शर्मा, हरियाणा ग्रन्थ अकादमी के निदेशक, डॉ हरीश रंगा, अतिरिक्त महानिरीक्षक, हरियाणा कारागार, सुमित चौधरी, सामाजिक कार्यकर्ता, कुरुक्षेत्र को शाल अर्पण 
11. 45 से 12. 30
अशोक ओझा का सम्बोधन और अशोक ओझा द्वारा पद्म भूषण लक्ष्मी प्रसाद यरलागड्डा जी का सम्बोधन के लिए आमंत्रण 
पद्म भूषण लक्ष्मी प्रसाद यरलागड्डा जी का अध्यक्षीय सम्बोधन
प्रोफेसर रणधीर सिंह द्वारा श्रीमती रीवा गांगुली दास को सम्बोधन के लिए आमंत्रण
श्रीमती रीवा दास का सम्बोधन
12.30 से 1.00
प्रोफसर चरणजीत सिंह द्वारा मुख्य वक्ता प्रोफसर गैब्रिएला इलेवा का परिचय और उन्हें सम्बोधन के लिए आमंत्रण
प्रोफेसर गैब्रिएला (मुख्य वक्ता)का सम्बोधन
समयानुसार अतिरिक्त सम्बोधन: डॉ. रंगा, डॉ. विजय दत्त शर्मा, तथा अन्य
प्रोफसर चरणजीत सिंह द्वारा धन्यवाद भाषण और भोजन की घोषणा
11:00 बजे से 1:00 बजे

बास्केटबॉल खेल मैदान
भोजन
दिन 1  बजे से 1.30 बजे



मुख्य सभागार










श्री अर्जन देव सेमिनार हॉल,









मुख्य सभागार













श्री अर्जन देव सेमिनार हॉल,












मुख्य सभागार

समानांतर सत्र I:
(1)- सक्षम संसाधन निर्माण और उच्च स्तरीय हिंदी कार्यक्रमों का विकास Building capacity and developing high quality Hindi programs
अध्यक्षता/संचालन: प्राचार्य जसविंदर सिंह, खालसा कॉलेज, दिल्ली   
शोध पत्र प्रस्तुति: डॉ. विनोद कुमार मिश्रा, महासचिव, विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरिशस 
कार्य स्थल: मुख्य सभागार
समय: 1. 30 से 3.00 बजे
दिन 1.30   बजे से 3.00 बजे 









दिन 1.30   बजे से 3.00 बजे 








दिन 3.30-5.00 बजे








दिन 3.30-5.00 बजे







शाम 6 से 8 बजे
(2)-समानांतर सत्र II: हिंदी भाषा और संस्कृति शिक्षण के प्रति अत्याधुनिक टेक्नॉलोजी से युक्त दृष्टिकोण  Cutting-edge approaches to teaching Hindi language and culture that incorporate technology
संचालन: प्रोफसर चरणजीत सिंह
अध्यक्षता: डॉ आशा मेहता
विशेष प्रस्तुति: डॉ प्रकाश हिंदुस्तानी, वेब दुनिया, इंदौर
कार्य स्थल: श्री अर्जन देव सेमिनार हॉल;
(3)-समानांतर सत्र III: उच्च स्तरीय हिंदी भाषा और संस्कृति प्रवीणता हासिल करने के लिए सर्वोत्तम शिक्षण कार्य-नीति   Best Hindi classroom practices leading to high language and culture proficiency levels
अध्यक्षता/संचालन: प्रोफेसर गैब्रिएला इलेवा, न्यू यॉर्क विश्वविद्यालय
 शोध पत्र प्रस्तुति: डॉ. सुधीश पचौरी, पूर्व प्रति कुलपति, दिल्ली विश्वविद्यालय एवं वरिष्ठ पत्रकार
कार्य स्थल: मुख्य सभागार

(4)-समानांतर सत्र IV: संस्थागत रचनाशीलता और सहभागिता Institutional creativity and collaboration
अध्यक्षता: डॉ. प्रेम जन्मेजय, वरिष्ठ हिंदी साहित्यकार
सञ्चालन/वक्ता: डॉ रणधीर सिंह
मुख्य वक्ता: श्री अशोक ओझा, स्टारटॉक हिंदी कार्यक्रम, अमेरिका, जयराम मेनन, लार्सन एंड टुब्रो (भारतीय कॉर्पोरेट जगत में हिंदी, जवाहर कर्णावत, बैंक ऑफ़ बड़ौदा (बैंकिंग क्षेत्र में हिंदी)

समापन समारोह तथा प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरण:
पंजाबी सांस्कृतिक समारोह
मंच संचालन: प्रोफसर चरणजीत सिंह
• सम्बोधन: राजदूत श्री ज्ञानेश्वर मुले, सचिव, प्रवासी भारतीय विभाग, विदेश मंत्रालय, भारत
प्रमाण पत्र वितरण
धन्यवाद सम्बोधन: जया मिश्रा, विश्व हिन्द पत्रकार और साहित्य परिषद, उत्तरखंड   




आवश्यक सन्देश:
  • सिर्फ पंजीकृत प्रतिभागी सम्मेलन के सभी सत्रों में प्रवेश पा सकेंगे।
  • प्रतिभागियों के पंजीकरण के लिए गुरु तेग बहादुर कॉलेज खालसा कॉलेज, नार्थ कैंपस, दिल्ली विश्वविद्यालय प्राचार्य कार्यालय लॉबी में शुक्रवार 15  सितम्बर को प्रातः 7 बजे से पंजीकरण डेस्क कार्यरत होगा, जहाँ हिंदी संगम फाउंडेशन के स्वयंसेवक पंजीकरण फॉर्म भरने और शुल्क अदायगी में मदद करेंगे। कृपया अपना अधिकृत पहचान पत्र साथ लाएं
  • पंजीकरण शुल्क: शिक्षकों, नौकरीपेशा प्रतिभागियों के लिए- रूपए 1,100 (ग्यारह सौ रूपए); आत्मनिर्भर शोधार्थियों, विद्यार्थियों के लिए-रूपए 500 (पांच सौ रूपए); खालसा कॉलेज शिक्षक एवं छात्र-छात्राओं के लिए निःशुल्क पंजीकरण- फॉर्म भरना आवश्यक।
  • पंजीकरण शुल्क की अदायगी करने वाले प्रतिभागियों को पूरे दिन के कार्यक्रमों में प्रवेश होगा, और वे प्रमाणपत्र के हकदार होंगे।
  •  प्रतिभागियों को दिल्ली में अपने आवास की व्यवस्था स्वयं करनी होगी।
  • समान्तर सत्र में उप विषयों पर प्रतिभागियों के विचार आमंत्रित हैं, लेकिन सभी प्रतिभागियों के उनकी मंच प्रस्तुति का निर्णय समय सीमा को ध्यान में रख कर सत्र संचालक/अध्यक्ष ही करेंगे। 
  • अपने समस्त प्रश्न कृपया इस ईमेल पते पर भेजें: hindiconferencenyc2014@gmail. com
  • अति आवश्यक प्रश्नों के लिए अंतर्राष्ट्रीय संयोजक अशोक ओझा से संपर्क फ़ोन: 91-88-6054-6791. ईमेल: aojha2008@gmail.com


Ashok Ojha 
Tel. 1-732-318-9891 (USA)
India Mobile: 91-8860546791
International Hindi Conference, September 15, Khalsa College, Delhi

प्रस्तुत कर्ता : संपत देवी मुरारका, विश्व वात्सल्य मंच
murarkasampatdevii@gmail.com  
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
मो.: 09703982136