नये क्षितिज पुस्तक की समीक्षा
"नये क्षितिज" डॉ.
सतीशचंद्र शर्मा 'सुधांशु' द्वारा संपादित नवगीतों का
अद्भुत संग्रह है । इसके अतिथि संपादक शिवानंद सिंह 'सहयोगी' गीत का जन्म मनुष्य के जन्म
के साथ ही मानते हैं । "मनुष्य पहले-पहल जो बोला वह गद्य और रोया वह पद्य"
। अपनी अभिव्यक्ति को उसने श्लोक, ऋचा, मंत्र, गीत, दोहा, कहानी, दैनिकी उपन्यास आदि में लिखना
प्रारंभ किया और लिखने की विधाओं का जन्म हुआ जो निरंतर चल रहा है और बदलते समय
समाज के साथ इन विधाओं में गीत कर्णप्रिय और मधुर विधा है । हृदय में छिपी भाव अभिव्यक्ति
गुनगुनाहट के रुप में प्रस्तुत होती गीत का जन्म होता है । गीत और नवगीत में अधिक
फरक नहीं, एक सूक्ष्म सा फरक मात्र है ।
'नवगीत' हिंदी कविता की एक महत्वपूर्ण
विधा है । वर्तमान विसंगतियां के बीच मानवीय अनुभूतियों के प्रकाश में सौंदर्य बोध
खोजा है । "नये क्षितिज" में डॉ सतीशचंद्र शर्मा 'सुधांशु' नवगीतों को प्रस्तुत करते
कहते हैं - आजकल कम से कम शब्दों में छोटे-छोटे छंदों में नवगीतों ने पाठकों, आलोचकों का आदर प्राप्त किया
है । इस अंक में देश के लगभग सभी महत्वपूर्ण नवगीतकारों को स्थान देने का प्रयास
किया गया है ।
सूर्यकांत
त्रिपाठी 'निराला' की रचना 'मानव जहां
बैल घोड़ा है' से लेकर रमेश चंद्र शर्मा 'विकट' की बदायूं के
शब्द शिल्पी नवगीतों की विस्तृत श्रंखला 150
(एक सौ पचास) पृष्ठों में कतिपय गद्य
रचनाओं द्वारा दिग्दर्शित 'नये क्षितिज' में आलेखित
है । दिन ये बरसात के, अधर में संवेदनाएं, आखर-आखर अलसाये, धधकी आग तबाही, इस सभा में चुप रहो, क्या करें, सजा है कबूल, कहो कबीर, निचुडता मन, जो भी है --गीतकार मानते हैं
की देशव्यापी अंधेरे के लिए मौजूदा विसंगतियां और अंतर्विरोध जिम्मेदार है। संग्रह के अनेक गीत दैनिक जीवन की खटपट को
रुपायित करते हैं । चांद सरीखा मैं अपने को घटते देख रहा हूं, प्रश्न-प्रश्न
से उलझ रहे -- उत्तर मुंह लटकाए, खुशी बांझ सी, मुन्नी
गुड़िया हुई लापता, परिजन हुये अभागे, पर हिम्मत
नहीं हारे हैं, तोडेंगे-तोडेंगे चक्रव्यूह तोडेंगे -- का बुलंद स्वर, नवगीतकारों
के मानस का दर्पण है ।
जनगीतकारों के साक्षात्कार के अंतर्गत नचिकेता से डॉ.नितिन सेठी ने विस्तृत
विवेचन किया है । 'नवांकुर नीड़' में नवोदित गीतकारों को विस्तृत आकाश में विचरने की प्रेरणा दे कर उनका मनोबल
बढ़ाया है । 'शोध पत्र' नये क्षितिज के सहयोगी, सम्मानार्थ प्रविष्टियां
आमंत्रण, समाचार संभाग कुल मिलाकर नये
क्षितिज को गरिमा प्रदान करते हैं । विकसित पुष्पवन का शैल, गगनयुक्त रंगीला मुखपृष्ठ, जनवरी-जून 2017 संयुक्तांक आकर्षक लग रहा है
। मात्र सौ (100) रुपए में इतना साहित्य, नई विधा विचार पाठक को पढ़ते
जाने की प्रेरणा देते हैं । के.बी. (श्रीमती कटोरी देवी बाबूराम शर्मा)
हिंदी साहित्य समिति नाम से पंजीकृत 'नये क्षितिज' का भविष्य नि:संदेह उज्जवल चिरंजीवी रहे इसी शुभ भावना के साथ ----
प्रस्तुति
: संपत देवी मुरारका (विश्व वात्सल्य मंच)
email: murarkasampatdevii@gmail.com
लेखिका यात्रा विवरण
मीडिया प्रभारी
हैदराबाद
मो.: 09703982136